आसान भाषा में समझें सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटाइन के बारे में, क्या है दोनों में फर्क

देश
 सृष्टि वर्मा
Updated Mar 26, 2020 | 11:38 IST

कोरोना वायरस के चलते भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 600 के पार चली गई है वहीं मरने वालों की संख्या 13 हो गई है। इससे बचाव के उपाय सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटाइन के बारे में आसान भाषा में यहां समझें।

what is social distancing and quarantine
क्या है सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटाइन 
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस के चलते लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग करने को कहा गया है
  • वायरस से संक्रमित लोगों को सेल्फ आइसोलेट किया जा रहा है
  • आसान भाषा में समझें क्या है सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटाइन में फर्क

नई दिल्ली : कोरोना वायरस से फैली महामारी का अब तक दुनिया में कोई इलाज सामने नहीं आया है ऐसे में इससे बचने का एकमात्र उपाय है आप जितना दूसरों के संपर्क में आने से खुद को बचा सकते हैं ताकि आप संक्रमण के खतरे से बच सकें। चूंकि ये बीमारी संक्रमण से फैलती है इसलिए सलाह दी जाती है कि आप अपने घरों के अंदर रहें और घर के बाहर निकलने का प्रयास ना करें बाहरी लोगों के संपर्क में ना आएं। यही कारण है कि दुनियाभर के देशों ने अपने यहां लगभग-लभगग महीने दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया है और लोगों का अपने घरों से बाहर निकलने पर सख्त पाबंद लगा दी है। 

अब तक दुनियाभर में नोवेल कोरोना वायरस के कारण करीब 3 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हैं जबकि 21 हजार से भी ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। भारत की बात करें तो यहां पर वायरस के संक्रमण में आने वालों की संख्या 600 के पार जा चुकी है वहीं इससे मरने वालों की संख्या 13 हो गई है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित करते हुए इस बीमारी को महामारी का नाम दे दिया है।

क्या है सोशल डिस्टेंसिंग
सोशल डिस्टेंसिंग का आसान शब्दों में मतलब ये है कि आप लोगों से मिलना जुलना कम करें, किसी स्थान पर लोगों की भीड़ इकट्ठा ना होने दें और लोगों से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाए रखें। अगर बेहद जरूरी भी हो तो एक कम से कम एक मीटर की दूरी लोगों से बना कर रखें। सोशल डिस्टेंसिंग सेल्फ क्वारंटाइन और आसोलेशन से काफी अलग है। सोशल डिस्टेंसिंग में किसी खास एरिया से कोई मतलब नहीं हैं। हर किसी को लोगों से दूरी बना कर रखने को कहा जाता है। ये लोगों में व्यावहारिक बदलाव के बारे में बताता है जो लोगों से कम मिलने जुलने की अपील करता है।

अमेरिकी मैगजीन टाइम के मुताबिक टोरंटो रिसर्च हॉस्पीटल यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क के डिजीज स्पेशलिस्ट ने बताया है कि आज जैसे लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं वह भी एक प्रकार से सोशल डिस्टेंसिंग ही कहलाता है। क्योंकि इसमें लोगों का एक दूसरे मिलना जुलना मीटिंग, गैदरिंग, इवेंट्स करना सब बंद हो जाता है। लोग अपने आप ही एक दूसरे से दूर हो जाते हैं इसे ही सोशल डिस्टेंसिग कहते हैं। ये सभी प्रैक्टिस एक ही मकसद के लिए अपनाए जाते हैं।  

आजकल भारत के अलग-अलग शहरों से बेहद अनोखी और अच्छी तस्वीरें सामने आ रही हैं कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का कितना अनुशासन के साथ पालन कर रहे हैं। लोग दुकानों में जाकर एक दूसरे से एक मीटर की दूरी पर खड़े हो रहे हैं ताकि एक जगह पर लोगों की भीड़ इकट्ठी ना हो। इसके लिए सड़कों पर गोल घेरे बनाए गए हैं और उसी घेरे में एक-एक इंसान खड़ा होकर अपना सामान खरीद रहा है। इससे ना सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग का मकसद पूरा हो रहा है बल्कि लोग अनुशासित भी हो रहे हैं।

क्या है क्वारंटाइन
आइसोलेशन और क्वारंटाइन ये दोनों सोशल डिस्टेंसिंग से अलग प्रैक्टिस हैं जो कोरोना वायरस से बचने के लिए अपनाया जाता है। क्वारंटाइन और आइसोलेशन का मतलब ये है कि किसी खास क्षेत्र में लोगों के आने-जाने और लोगों की गतिविधियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी जाए। उस इलाके में मौजूद कोरोना वायरस के मरीजों से लोगों में संक्रमण ना फैले इसके लिए उन्हें क्वारंटाइन कर दिया जाता है या उन्हें अपने ही घरों में या किसी खास जगह पर सेल्फ आइसोलेट कर दिया जाता है। 

चुनाव आयोग से अमिट स्याही के इस्तेमाल की इजाजत मांगी गई थी। अब चुनाव आयोग ने भी अमिट स्याही के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। चुनाव आयोग ने कहा कि इसके लिए कई राज्य सरकारों की तरफ से अपील की गई थी। संक्रमित लोगों को 14 दिनों के लिए सेल्फ क्वारंटाइन रहने को कहा गया है।

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