Lumpy Virus in Rajasthan: भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सरहदी जिले बाड़मेर समेत राजस्थान के कई जिलों में लम्पी वायरस ने कहर बरपा दिया है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आई इस नई आफत ने तबाही मचा दी है और गायों में बढ़ती बीमारी से परेशानी बढ़ा दी है। लम्पी नाम की इस स्किन बीमारी से बाड़मेर में रोजाना सैकड़ों गोवंश दम तोड़ रहे हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो 9 लाख में से 1,10,787 गौवंश लम्पी प्रभावित हैं और 19 जुलाई से अब तक 2,735 गौवंश की मौत हो चुकी है जबकि करीब 70 गौशालाओं में 5 हजार गायों की मौत हुई है।
कहने को तो गहलोत सरकार ने हर ग्राम पंचायत स्तर पर मृत पशुओं को 10 फीट गहरे गड्ढे में दफनाने के लिए निर्देश दिए हैं लेकिन हकीकत ये है कि मरने वाले पशुओं को खुले में फेंका जा रहा है। आरोप है कि ग्राम पंचायतें ही नहीं नगर परिषद ही खुले में गोवंश को डाल रही हैं। बाड़मेर शहर से 15 किलोमीटर दूर रोहिली और अरिहंत नगर में इसकी बानगी देखी भी जा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक-
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लेकिन जो वायरस राजस्थान में गौ माता काल बना है, जरा उसके बारे में जान लीजिए। लम्पी स्कीन डिसीज जिस वायरस के कारण होती है, उसका नाम Capripoxvirus है। ये बीमारी गायों और भैसों को होती है। ये वायरस गोटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिली का है। लम्पी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलता है।
आमतौर पर 2 से 3 हफ्ते में ये संक्रमण ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इससे मौत भी हो सकती है। इस वायरस का मोर्टिलिटी रेट 1 से 5 फीसदी है। गहलोत सरकार लम्पी स्किन बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए एक तरफ तो केंद्र को पत्र लिख रही है लेकिन दूसरी ओर खुद ही मौत के आंकड़ों को छिपाया जा रहा है।आरोप है कि लम्पी से जितनी मौतें हुई हैं सरकार उसका 10 फीसदी ही आंकड़ा बता रही है। सरकारी आंकड़ों से कई गुना ज्यादा गाय बीमारी और मौत के आगोश में समा चुकी हैं खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान में लम्पी का ज्यादा प्रकोप है।बीकानेर और बाड़मेर में ही हजारों गौमाताओं की जान चली गई है।.जिनके शव को बाहर फेंकने से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
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