सिख धर्म के लिहाज से देखा जाए तो करतारपुर कॉरिडोर का अपना महत्व है। सरकार इस फैसले के माध्यम से ये संदेश देना चाहती है कि वो सिख समुदाय के धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती है। 20 महीने बाद ये कॉरीडोर ओपन होने जा रहा है। 17 तारीख से लोगों का रजिस्ट्रेशन होना प्रारंभ होगा, 18 तारीख को पहला जत्था 250 लोगों के साथ करतारपुर जाएगा। पंजाब बीजेपी अध्यक्ष अश्विनि शर्मा पहले जत्थे का वहां मौजूद रहकर स्वागत करेंगे। इससे पहले पंजाब भाजपा के नेता प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिले तो उसके तुरंत बाद केंद्र सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की हरी झंडी दे दी।
करतारपुर कॉरिडोर खोलना सिख समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि सभी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है लेकिन जिस तरह से 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं तो कहीं ना कहीं सियासत आस्था को लेकर भी पंजाब में हो रही है सभी राजनीतिक दल के नेताओं ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने की वकालत की थी लेकिन केंद्र सरकार ने पिछले दिनों कोविड प्रोटोकॉल के तहत करतारपुर कॉरिडोर को खोलने से मना कर दिया था लेकिन भाजपा के नेता केंद्रीय नेताओं से मिले तो आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोरिडोर खोलने की हरी झंडी दे दी है जिसका सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है।
चुनाव से ठीक पहले बीजेपी अमरिंदर सिंह की पार्टी से गठबंधन कर सकती है। इससे बीजेपी को पंजाब में एक बड़ा चेहरा मिल जाएगा। जिसकी बीजेपी को लंबे समय से तलाश थी। सूत्रों की माने तो बीजेपी ने पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे कराया था जिसमे बीजेपी को अच्छी सीटें मिलती हुई नहीं दिख रही थी। इसलिए बीजेपी ने सिख समुदाय को ये संदेश देने के लिए कदम उठाया है। कृषि कानून की वजह से पंजाब के किसान बीजेपी को अपना विरोधी मानते हैं। उसे गलत साबित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। अब देखना है बीजेपी को चुनाव में इसका कितना फायदा मिलता है।
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