नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद से 11 घंटे लंबी पूछताछ की। लंबी पूछताछ के बाद खालिद को गिरफ्तार किया गया। देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वालों के खिलाफ कानून और सख्त हो गया है। इस तरह की हरकतों को अंजाम देने वालों को अब यूं ही नहीं छोड़ा जाएगा। इसके लिए ऐसे लोगों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। कई बार इसका विरोध भी हुआ है, लेकिन देश की अखंडता से खिलवाड़ करने वालों के साथ अब कोई मुरौवत नहीं होगी। खालिद की गिरफ्तारी और उसपर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करना इस बात का द्योतक है कि देश के खिलाफ एक शब्द भी अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है यूएपीए (UAPA) अधिनियम ?
1967 में बने यूएपीए यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम में अगस्त 2019 में संसोधन किया गया। यूएपीए बेहद सख्त कानून है। इसे देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए बनाया गया है। 1967 में इकस कानून के बनने के बाद से इसमें कई बार संसोधन किया गया।
8 जुलाई को लोकसभा में पेश
यह विधेयक सरकार को यह अधिकार भी देता है कि इसके आधार पर किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 जुलाई को यूएपीए बिल लोकसभा में पेश किया था। यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर निम्न 4 में से किसी एक में उसे शामिल पाया जाता है-
यूएपीए में नए बदलाव के तहत एनआईए के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे। वह आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकेगी, साथ ही संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है। जांच के लिए एनआईए को पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेना पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
अबतक कितनों पर लगा यूएपीए?
दिल्ली हिंसा से जुड़े JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद और भजनपुरा के एक निवासी दानिश पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए हैं। इसके अलावा दिल्ली हिंसा की साजिश में शामिल होने के आरोप में जामिया मिलिया इस्लामिया के दो छात्र मीरान हैदर और सफूरा जरगर के खिलाफ भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यूएपीए लगाया। जम्मू कश्मीर की एक फोटो पत्रकार मसरत जेहरा पर देश विरोधी गतिविधियों का गुणगान करने के लिए यूएपीए के तहत आरोप लगा।
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