कोरोना वायरस की दूसरी लहर में लोगों की स्थिति काफी नाजुक हुई। अब पिछले कुछ समय से कोरोना के नए मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन मौत के मामले अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों इतनी मौतें हो रही हैं? क्या बीमारी की पहचान करने में लोगों से कुछ देर हो रही है, जिससे ये बढ़ जा रही है? कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं कि लोग कोविड 19 के लक्षणों को हल्के में ले लेते हैं या नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके बाद उनकी बीमारी आगे चलकर गंभीर रूप ले लेती है।
सवाल है कि किन गलतियों के कारण मरीज माइल्ड से मोडरेट तक पहुंच जाते हैं?
'आकाशवाणी समाचार' के अनुसार, इसके जवाब में नई दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, 'कई ऐसे मरीज होते हैं जो होम आइसोलेशन में ही ठीक हो सकते हैं, लेकिन वो आईसीयू तक पहुंच जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि जब किसी को गले में हल्की खराश, बुखार या जुकाम होता है तो वह उसे नजरअंदाज करते हैं। वो मान लेते हैं कि हमें ये बीमारी हो ही नहीं सकती है। इसके अलावा कई लोग ऐसे होते हैं, अगर रिपोर्ट देर से आई या लक्षण के बाद भी नेगेटिव आ गई है तो वह एकदम निश्चिंत हो जाते हैं। कुछ ऐसे लोग हैं जो खुद से ही इलाज शुरू कर देते हैं, स्टेरॉयड लेने लगते हैं। इन वजहों से उन्हें सही इलाज समय पर नहीं मिल पाता और कोरोना के लक्षण बढ़ जाते हैं।'
ऐसे में बहुत जरूरी है कि जैसे ही किसी को कोई भी लक्षण लगे तो वो तुरंत हरकत में आ जाए। टेस्ट कराए और जब तक रिपोर्ट न आए, तब तक खुद को आइसोलेट रखे। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू किया जाए।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।