15 साल की उम्र से ही राजनीति में हैं ममता बनर्जी, विरोध करते हुए चढ़ गई थीं जयप्रकाश नारायण की कार पर

देश
लव रघुवंशी
Updated Feb 08, 2021 | 06:30 IST

Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की 66 साल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने काफी कम उम्र में ही राजनीति में एंट्री कर ली थी। यहां जानें उनसे जुड़ा हुआ एक बेहद पुराना किस्सा।

Mamata Banerjee
ममता बनर्जी 
मुख्य बातें
  • लंबे समय तक कांग्रेस में रही हैं ममता बनर्जी
  • बाद में कांग्रेस से अलग होकर बनाई TMC
  • 2011 में बनीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री

आगामी महीनों में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। इन चुनावों में केंद्र में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) को इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) से कड़ी चुनौती मिल रही है। बीजेपी के बड़े से बड़े नेता ममता बनर्जी पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसलिए आज हम आपको उनकी राजनीति और उनसे जुड़े एक किस्से के बारे में बता रहे हैं।

1955 में कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता बनर्जी जब 15 साल की थीं, तभी वो राजनीति में आ गई थीं। जोगमाया देवी कॉलेज में पढ़ते समय उन्होंने कांग्रेस (आई) पार्टी की स्टूडेंस विंग छात्र परिषद यूनियनों की स्थापना की। बनर्जी ने 1970 के दशक में एक युवा महिला के रूप में कांग्रेस पार्टी में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। 1975 में वो तब मीडिया में छाईं जब उन्होंने समाजवादी कार्यकर्ता और राजनेता जयप्रकाश नारायण की कार पर चढ़कर अपना विरोध जताया।

जेपी का किया था विरोध

यह घटना तब हुई थी, जब जयप्रकाश नारायण कोलकाता के दौरे पर गए थे। जेपी ने साथी नेताओं के साथ कोलकाता में प्रवेश किया और शहर में एक विशाल सभा को संबोधित करने वाले थे। जैसे ही उनका काफिला शहर में दाखिल हुआ, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जेपी के काफिले को रास्ते में रोक दिया। बताया जाता है कि इसी दौरान ममता बनर्जी जेपी की कार के बोनट पर चढ़ गईं और जमकर नारेबाजी की।

1984 में बनीं सांसद

1984 के आम चुनाव में बनर्जी भारत की सबसे कम उम्र की सांसदों में से एक थीं, उन्होंने पश्चिम बंगाल के जादवपुर संसदीय क्षेत्र को जीतने के लिए कम्युनिस्ट राजनीतिज्ञ सोमनाथ चटर्जी को हराया था। वह 1984 में भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव भी बनीं। 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की मालिनी भट्टाचार्य से हार गईं। वह 1991 के लोकसभा चुनाव में फिर से सांसद चुनी गईं। उन्होंने 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 के आम चुनावों में कोलकाता दक्षिण सीट से जीत हासिल की।

10 साल से हैं मुख्यमंत्री

बाद में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर टीएमसी का गठन कर लिया। इससे पहले वो प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में 1991 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल और महिला और बाल विकास राज्य मंत्री रहीं। बाद में वो अटल सरकार में भी मंत्री रहीं। ममता पहले एनडीए और फिर बाद में यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहीं। इसके बाद 2011 में वो पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। करीब पिछले 10 सालों से वो इस कुर्सी पर काबिज हैं।

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