वैसे तो पिछले 20 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा नहीं हुआ है। लेकिन ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 के पार और डीजल की कीमत 100 के करीब है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट के मुद्दे पर विपक्षी दल केंद्र पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि यह हमारे अख्तियार में नहीं है। केंद्र सरकार को कीमतों को कम करने के बारे में फैसला करना चाहिए। लेकिन बुधवार को कुछ अलग ही हुआ। दरअसल कोरोना के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी राज्यों के सीएम के साथ संवाद कर रहे थे और उसी दौरान उन्होंने पेट्रोलियम प्रोडक्ट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर के महीने में केंद्र ने एक्ससाइज ड्यूटी में कमी की थी। उस वक्त जिन राज्यों ने वैट को कम करने का फैसला किया उन राज्यों को देखें।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो किसी राज्य की आलोचना नहीं कर रहे हैं। वो सिर्फ प्रार्थना कर रहे हैं कि आप लोग अपने यहां वैट में कमी कर जनता को राहत दें। वैश्विक संकट की वजह से परेशानियां बढ़ी हैं। जहां तक केंद्र सरकार की बात है तो 42 फीसद हिस्सा तो राज्यों को ही जाता है। एक बार फिर हम सब कोरोना की चुनौती का सामना कर रहे हैं ऐसे में यह जरूरी है कि आलोचना को एक किनारे कर हम सभी सहयोग के भाव में आगे बढ़ें।
गैर बीजेपी राज्यों में पेट्रोल की कीमत
राज्य/ राजधानी | पेट्रोल की कीमत |
चेन्नई | 111 |
कोलकाता | 115 |
मुंबई | 120 |
हैदराबाद | 119 |
जयपुर | 118 |
टेबल में पांचों नाम उन राज्यों की राजधानियों के हैं जहां पर बीजेपी शासन में नहीं है। ये वो राज्य है जहां कांग्रेस या क्षेत्रीय दलों का शासन है। पीएम मोदी ने मीटिंग के दौरान कहा कि आप उन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को देख सकते हैं जहां नवंबर में एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद वैट में कमी की गई और वहां पेट्रोल डीजल की कीमतों में इन जगहों की तुलना में कमी है। दीव, लखनऊ, चंडीगढ़, देहरादून इसके उदाहरण हैं।
राज्य/ राजधानी | पेट्रोल की कीमत |
लखनऊ | 105 |
देहरादून | 103 |
गोहाटी-असम | 105 |
जम्मू | 106 |
गुरुग्राम | 105 |
नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो किसी की आलोचना के लिए यह सब बातें नहीं बोल रहे हैं। वो भी जनता के हित की ही बात कर रहे हैं। वो राज्यों की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। केरल, तमिलनाडु, झारखंड महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ने किसी न किसी वजह से केंद्र सरकार की सलाह को मानने से बचते रहे और उसका असर साफ नजर आ रहा है। उन राज्यों के नागरिकों पर बोझ बना हुआ है।उन्होंने कहा कि देशहित में पिछले साल नवंबर में जो करना था उसे जमीन पर उतारने में 6 महीने की देरी हो गई है। आप लोग वैट कम करके जनता को लाभ दें।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि भारत की सियासत में पेट्रोल और डीजल जहां सत्ता पक्ष के लिए तिजोरी भरने का साधन है, वहीं विपक्ष के लिए एक ऐसा हथियार जिसके जरिए वो सरकार को मुश्किलों में डाल सकते हैं। लेकिन अब धरातल पर बदलाव है। अगर आप पूरे भारत के नक्शे को देखें तो किसी राज्य में राष्ट्रीय दल तो कहीं क्षेत्रीय दल या कहीं गठबंधन की सरकार है। सभी सरकारों को राजस्व की जरूरत होती है जिसकी भरपाई वैट के साथ साथ अलग स्रोतों से करते हैं। लिहाजा मौजूदा समय में वो किसी भी सरकार को सिर्फ कोस सकते हैं। लेकिन पीएम मोदी ने एक तरह से साफ कर दिया कि केंद्र को जो कुछ करना था उसे वो कर चुके हैं और उसका फायदा उन राज्यों के लोगों को मिल रहा है जिन्होंने वैट में कमी ही। लिहाजा वो राज्य जो वैट में कमी तो नहीं कर रहे उल्टे आरोप लगा रहे हैं उससे वो बचें।
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