नई दिल्ली: तमाम विरोध और आपत्तियों के बावजूद वाराणसी जिला कोर्ट ने हिन्दू-मुस्लिम पक्षकारों को ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट की कॉपी और सर्वे का वीडियो सौपने का आदेश दे दिया है। ज्ञानवापी मस्जिद में 6 मई और 14 से 16 मई के बीच हुई वीडियोग्राफी सर्वे रिपोर्ट जारी होने को लेकर मुस्लिम पक्ष ने कड़ा एतजार जताया। मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि रिपोर्ट के सार्वजनिक होने का खतरा है। मुस्लिम पक्ष की दलील को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने आखिरकार सर्वे रिपोर्ट जारी करने के लिए 30 मई यानी सोमवार दिन मुकर्रर कर दिया है।
अब सवाल उठता है कि जब मुस्लिम पक्ष को यकीन है कि ज्ञानवापी मंदिर नहीं मस्जिद है तो सर्वे रिपोर्ट जारी होने का वो विरोध क्यों कर रही है। आखिर ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट जारी होने से उसे डर क्यों है। हिन्दू पक्ष को यकीन है कि इस सर्वे रिपोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर-शिवलिंग का एक-एक सच सामने आएगा और इसके केस में हिन्दू पक्ष को मजबूती मिलेगी।
जिस सर्वे रिपोर्ट को कोर्ट ने जारी करने का आदेश दिया है, जिस सर्वे रिपोर्ट के जारी होने को लेकर मुस्लिम पक्ष को डर सता रहा उस सर्वे रिपोर्ट को लेकर पहले ही कई सबूत सामने आ चुके हैं। जिसमें वो प्रमाण है जो ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मंदिर होने के सबूत देते हैं। टाइम्स नाऊ नवभारत ने पहले ही बता दिया था कि सर्वे रिपोर्ट के अंदर क्या है। मंदिर के प्रमाण होने को लेकर 1000 हजार से ज्यादा तस्वीरें हैं। तस्वीरों और वीडियोग्राफी को लेकर 32 GB की कई पेनड्राइव है, वजूखाने में शिवलिंग का वीडियो, मस्जिद की दीवारों पर हिंदू आकृति, हिंदू शैली के शिलालेख , मस्जिद में मूर्तियां, त्रिशूल और घंटी, हिंदू शैली की दीवार, खंबों पर श्लोक और श्रृंगार गौरी की मूर्ति है।
क्या ज्ञानवापी मुद्दे को आधार बना PFI भड़का रहा है, इनसाइड स्टोरी
30 मई ज्ञानवापी केस को लेकर अहम दिन होगा जब इस सर्वे रिपोर्ट को दोनों पक्षों को सौंपा जाएगा। सर्वे रिपोर्ट को सूबतों के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि इन सबूतों पर आपत्ति के लिए 7 दिन का वक्त दिया गया है। अब ये देखने वाली बात होगी कि क्या सोमवार को जब वीडियो सामने आएंगे तब क्या उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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