Afzal Khan And Aurangazeb Controversy: करीब 5 दिनों बाद आज मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र खुल गई। लेकिन औरंगजेब को लेकर विवाद थम ही रहा था कि उसके बीजापुर शासन के सेना नायक अफजल खान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। मामला इस बार भी कब्र का है, जिस पर महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने निशाना साधा है। उनके बयान के बाद महाराष्ट्र सरकार ने सतारा जिले के प्रतापगढ़ की तलहटी में अफजल खान की कब्र पर सुरक्षा बढ़ा दी है। उसकी सुरक्षा में 102 बटालियन रैपिड एक्शन फोर्स मुंबई के सहायक कमांडर और उसके 50 जवान और 15 क्यूआरटी जवान तैनात हैं।
राज ठाकरे ने क्या कहा था
हाल ही में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था कि सतारा में अफजल खान की छोटी सी कब्र अब मस्जिद बन चुकी है। अगर राज्य सरकार इसे ध्वस्त नहीं करती है तो हमारे कार्यकर्ता इसे ध्वस्त करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था अफजल खान हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज की हत्या करने बीजापुर से आया था लेकिन हमारे महाराज ने उसे मार दिया। अब प्रतापगढ़ किले के पास उसकी 6.5 फुट की कब्र आज 15 हजार फुट के इलाके में फैल चुकी है।यहां मस्जिद बनाई जा रही है, आखिर, इसकी फंडिंग कौन कर रहा है। राज ठाकरे के इस बयान के बाद सवाल यह उठता है कि अफजल खान कौन था और उसका शिवाजी, औरंगजेब से क्या नाता था।
अफजल खान कौन था
अफजल खान बीजापुर की आदिलशाही हुकूमत का सैनिक था। उस वक्त बीजापुर का सुल्तान अली आदिल शाह द्वितीय था। आदिल शाह कम उम्र में सुल्तान बन गया था। ऐसे में राजकाज परउसकी सौतेली मां बड़ी बेगम साहिबा संभालती थी। आदिलशाही शासन में आने से पहले अफजल खान विजयनगर साम्राज्य के नायक बंधुओं को हराने के बाद अपनी वीरता के लिए चर्चित हो चुका था। आदिलाशाही सुल्लान की मां बड़ी बेगम साहिबा शिवाजी की बढ़ती ताकत से परेशान थी और उसे डर था कि जिस तरह शिवाजी किले पर किले जीत रहे हैं, ऐसे में वह आने वाले समय में आदिलशाही राज्य के लिए भी खतरा बनेंगे। इसे देखते हुए शिवाजी को खत्म करने की जिम्मेजारी अफजल खान को सौंपी गई।
औरंगजेब की कब्र के बाद अब सतारा में मौजूद अफजल खान की कब्र को लेकर अलर्ट, बढ़ाई गई सुरक्षा
शिवाजी ने चालाक अफजल खान को ऐसे मारा
शिवाजी को शिकस्त देने के लिए अफजल खान बीजापुर से एक बड़ी सेना लेकर निकला। शिवाजी ने अफजल खान की बड़ी सेना और अपनी गुरिल्ला युद्ध की ताकत को देखते हुए अहम कदम उठाया। वह महाबलेश्वर की पहाड़ियों में मौजूद प्रतापगढ़ के किले में पहुंच गए। घने जंगल से घिरे इस मजबूत किले को जीतना किसी के लिए भी आसान नहीं था। जल्द ही अफजल खान और उसके सैनिकों को यह अहसास हो गया कि प्रतापगढ़ किले को जीतना आसान नहीं है। इस बीच लंबे समय तक घेराबंदी होने से अफजल की सेना को खाने-पीने की किल्लत होने लगी।
मामला बिगड़ता देख अफजल खान ने शिवाजी से सुलह की पेशकश की। उसने दूत के जरिए संदेश भेजा कि अगर वह उससे मिलने आए और हथियार डाल दें तो उन्हें इनाम दिया जाएगा । शिवाजी भी सोची-समझी रणनीति के तहत अफजल से मिलने को राजी हो गए। लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि यह मुलाकात किले के पास घाटियों में होगी। इस मुलाकात में यह भी शर्त थी कि शिवाजी और अफजल की मुलाकात बिना हथियारों की होगी।
भारतीय इतिहासकारों के अनुसार इसके बाद शिवाजी जब अफजल खान के सामने पहुंचे तो उसने गले मिलने के बहाने उन पर कटार से वार कर दिया। लेकिन कवच ने शिवाजी को बचा लिया। इधर शिवाजी को अफजल खान के धोखे का अंदाजा पहले से था। इसलिए उन्होंने बघनखा पहन रखा था और उसी से उन्होंने अफजल का पेट चीर दिया। और इस बीच शिविर के बाहर खड़े शिवाजी के भरोसेमंद संभाजी कावजी ने अंदर पहुंचकर अफजल का सिर धड़ से अलग कर दिया। और उसके बाद शिवाजी की सेना ने अफजल खान की सेना पर हमलाकर उस लड़ाई को जीत लिया।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।