देश के पहले ट्रेन्ड ट्रांसजेंडर पायलट एडम हैरी इन दिनों फूड डिलीवरी बॉय का काम करने पर मजबूर हैं। दरअसल, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने उन्हें अस्थाई तौर पर अनफिट करार दिया है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि वह हॉर्मोन थेरेपी से गुजर रहे थे, लिहाजा डीजीसीए ने उन्हें उड़ान भरने के लिए अस्थाई रूप से फिट घोषित करने वाले मेडिकल सर्टिफिकेट देने से इन्कार कर दिया।
यही वजह है कि वह मौजूदा समय में फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के डिलीवरी एजेंट के तौर पर काम करने को बेबस हैं। हैरी साल 2019 में सुर्खियों में आए थे, जब वह देश के पहले ट्रांसजेंडर ट्रेनी पायलट बने थे।
अंग्रेजी अखबार दि हिंदू की एक रिपोर्ट की मानें तो हैरी ने दक्षिण अफ्रीका से प्राइवेट पायलट लाइसेंस पीपीएल हासिल किया है। उन्होंने इसके बाद कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित राजीव गांधी एकैडमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी में जनवरी 2022 में खुद को एनरॉल कराया था।
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बताया जाता है कि केरल सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग ने हैरी की फ्लाइंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने में मदद भी की थी, ताकि वह इस क्षेत्र में अपना करिअर बना सकें।
जन्म के दौरान उन्हें बच्ची (स्त्री) माना गया था। हालांकि, आगे चलकर उन्होंने सरकारी कामकाज और अन्य जगहों पर अफसरों के सामने खुद को ट्रांसजेंडर पुरुष के रूप में पेश किया। वजह रही- उनमें होने वाले साइकोलॉजिकल बदलाव। मसलन दाढ़ी निकलना और मर्दों जैसी आवाज होना।
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अपना स्टूडेंट पायलट लाइसेंस सुनिश्चित कराने के लिए उन्हें मेडिकल टेस्ट से गुजरना था, पर उन्हें मजबूरी में अपने आवेदन फॉर्म में खुद को फीमेल के रूप में पेश करना पड़ा। दरअसल, डीजीसीए के मेडिकल परीक्षण से जुड़े फॉर्म में ट्रांसजेंडर के लिए कोई विकल्प नहीं था।
काफी टेस्ट्स के बाद जेंडर डायफोरिया (यह वह स्थिति होती है, जिसमें किसी इंसान के बायलॉजिकल सेक्स और जेंडर आईडेंटिटी के बीच में फर्क करने में दिक्कत होती है) का हवाला देते हुए हैरी को डीजीसीए ने अस्थाई तौर पर अनफिट बता दिया था।
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