शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी संसद में हंगामा हुआ। आज 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्षी दलों ने पहले बैठक की, फिर राज्यसभा का बहिष्कार किया। हालांकि इस दौरान टीएमसी के सांसद सदन में ही बैठे रहे। इससे पहले पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से अपनी-अपनी बात कही गई। सरकार विपक्षी सांसदों से माफी मांगने को कहती रही जबकि विपक्ष के सांसद यही कहते रहे कि माफी किस बात की।
संसद से 12 सांसदों का निलंबन क्या हुआ। इस पर घमासान बढ़ता ही चला जा रहा है। आज नाराज विपक्ष ने राज्यसभा में इसी मुद्दे पर पहले
सरकार को घेरने की कोशिश की। फिर राज्यसभा बहिष्कार करने का फैसला किया। सदन बहिष्कार से पहले विपक्षी दलों ने बकायदा एक बैठक बुलाई थी। जिसमें इसे लेकर रूप रेखा तय की गई। हालांकि, बैठक में विपक्षी दलों की बैठक में TMC नहीं थी। 16 विपक्षी पार्टियां बैठक में मौजूद थी
इसके ठीक बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई। वैसे ही विपक्षी दल एक-एक करके सदन से बाहर जाने लगे। हालांकि इस मौके पर भी टीएमसी का रूख दूसरा था।
हालांकि इससे पहले उपसभापति ने विपक्षी दलों के सांसदों को साफ शब्दों में समझा दिया कि सांसदों का निलंबन नियमों के तहत किया गया है और ये निलंबन सभापति का नहीं बल्कि सदन का फैसला है। एक तरफ सदन बहिष्कार हुआ दूसरी तरफ संसद परिसर में गांधी मूर्ति के सामने विपक्षी दलों का प्रदर्शन शुरू हो गया।
इसके बाद दोपहर में राहुल गांधी ने इसी मुद्दे पर ट्वीट किया कि और उस बात का जवाब दिया। जिसमें सरकार की ओर से कहा
गया था कि अगर 12 सांसद माफी मांग लेते हैं तो निलंबन वापसी संभव है। इसी मसले पर राहुल ने लिखा कि किस बात की माफ़ी?
संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!
सरकार सांसदों से माफी की मांग कर रही है। तो विपक्ष निलंबिन वापसी की मांग पर अड़ा है। टकराव ऐसा है, जो खत्म होता नहीं दिख रहा है।
जो संकेत मिल रहा है वो लोकतंत्र और देश के लिए शुभ नहीं। ऐसा लग रहा है जैसे शीतसत्र भी पक्ष और विपक्ष के इसी युद्ध में बर्बाद हो जाएगा।
ठीक मॉनसून सत्र की तरह। अगर ऐसा हुआ तो ना सिर्फ संसद का वक्त बर्बाद होगा बल्कि जनता के करीब 250 करोड़ रुपए मिट्टी में मिल जाएंगे।
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