किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता अकाली दल, हरसिमरत ने इसलिए दिया इस्तीफा

Punjab formers: दरअसल, पंजाब में किसान इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन विधेयकों का विरोध करने के लिए आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट हो गए हैं।

 Why Akali Dal protesting against NDA’s agriculture ordinances Harsimrat Badal resigns
किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता अकाली दल।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सरकार के कृषि सुधार से जुड़े विधेयकों का पंजाब में किसान विरोध कर रहे हैं
  • किसानों को आशंका है कि उन्हें फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा
  • किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता अकाली दल, वोट बैंक खोने का है डर

नई दिल्ली : मोदी सरकार में अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत बादल ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। कृषि सुधार से जुड़े विधेयकों के विरोध में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दिया। अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाता काफी पुराना है। अकाली दल ने इन विधेयकों के खिलाफ असामान्य एवं कठोर कदम उठाया है। अकाली दल ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता, आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) विधेयक 2020 का विरोध किया है। वहीं, अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि इन अध्यादेशों के बारे में उनकी पार्टी से कभी सलाह मशविरा नहीं  किया गया और उनकी पत्नी हरसिमरत ने सरकार से किसानों की चिंताओं से अवगत कराया था। 

विधेयकों के खिलाफ पंजाब में एकजुट हुए किसान
दरअसल, पंजाब में किसान इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। इन विधेयकों का विरोध करने के लिए आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट हो गए हैं। मालवा बेल्ट के किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इन विधेयकों का समर्थन करने वाले नेताओं को वे अपने गांवों में दाखिल नहीं होने देंगे। 

किसानों में जनाधार नहीं खोना चाहता अकाली दल
पंजाब में अकाली दल का जनाधार इन किसानों के बीच है। ऐसे में यह पार्टी किसानों को नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती। किसानों को लगता है कि इन अध्यादेशों के पारित हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों को उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाएगा। जबकि कमीशन एजेंट्स को लगता है कि वे अपना कमीशन खो देंगे। बताया जाता है कि पंजाब में 12 लाख परिवार किसानी से जुड़े हैं और राज्य में करीब 28 हजार रजिस्टर्ड एजेंट्स हैं। अकाली दल नहीं चाहता कि किसान उनसे नाराज हों। जानकार मानते हैं कि किसानों के हितों के खिलाफ जाकर पार्टी अपना राजनीतिक नुकसान उठाना नहीं चाहती।

अकाली दल ने कांग्रेस पर निशाना साधा
बादल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि इस पार्टी का इस मुद्दे पर दोहरा मानदंड है और 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसके घोषणा पत्र में एपीएमसी अधिनियम को खत्म करने का उल्लेख था। शिअद प्रमुख ने कहा कि लोकसभा द्वारा पारित किये गये तीनों विधेयक केवल पंजाब में ही 20 लाख किसानों और 15-20 लाख कृषि मजदूरों को प्रभावित करने जा रहे हैं।
 

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