Why We Celebrate International Men's Day: 8 मार्च 1923 से 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता रहा है, ऐसे में सालों से किसी एक दिन की जरूरत पुरुषों के लिए भी महसूस की जा रही थी यानी कि एक ऐसा दिन जो पुरूषों को समर्पित हो और उन्हें भी खास अहसास हो, तो इसकी भी शुरूआत हुई। भारत में पहली बार 2007 में 'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' मनाया गया दरअसल पहले से ही इस दिन को मनाने के पीछे एक बड़ा कारण लैंगिक समानता को बढ़ावा देना भी था।
कहा जाता है कि भारत पुरुष प्रधान देश है और यहां महिला दिवस की तर्ज पर मर्दों के लिए ऐसे किसी खास दिन को सेलिब्रेट करने की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है, पुरुषों की भी अपनी ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे उन्हें जूझना पड़ता है, देश में कई केसों में घरेलू हिंसा के शिकार पुरुष भी हैं, इन्हीं सारी बातों को देखते हुए महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाने की जरूरत महसूस की गई, इसके बाद से भारत में भी पुरुष दिवस को भी मनाया जाने लगा।
'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है पुरुष दिवस का फोकस पुरुषों और बच्चों के स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और आदर्श पुरुषों के बारे में दुनिया को बताना होता है. पुरुष दिवस 1960 के दशक से ही मनाया जा रहा है इस दिन पुरुषों की उपलब्धियों का उत्सव मनाया जाता है।
महिलाओं के प्रति पुरूषों का आकर्षण कॉमन बात है, लेकिन पुरुष अपने पूरे जीवन में से एक साल महिलाओं को देखने में ही बीता देते हैं
कहा जाता है कि महिलाएं खासी बातूनी होती हैं लेकिन मर्द भी कम नहीं होते, कहते हैं कि पुरुष भी एक दिन में औसतन 2,000 शब्द बोलते हैं
पुरुष ठंडे तापमान के प्रति कम संवेदनशील होते हैं, ऐसा कहा जाता है
महिलाओं के वजन के विपरीत पुरुषों के शरीर में अधिकतर फैट या मोटापा उनके पेट पर ही जमा हो जाता है।
साल 1923 में पहली बार 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाए जाने की मांग की गई थी इसके लिए कुछ पुरुषों ने 23 फरवरी का दिन निर्धारित करने की मांग की थी हालांकि यह डिमांड ज्यादा जोर नहीं पकड़ सकी, बाद में लंबे अंतराल के बाद 'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' पहली बार 1999 में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज के एक इतिहास व्याख्याता डॉ. जेरोम टेलेकसिंह द्वारा त्रिनिदाद बारगो में आयोजित किया गया था। डॉ. तीलेकसिंह ने 19 नवंबर को अपने पिता के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की मेजबानी करने का फैसला किया।
'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' के बारे में जागरूकता लाने में एडवोकेट उमा चल्ला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 2007 में उन्होंने उन घिनौने दुर्व्यवहारों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जो पुरुष विरोधी कानूनी व्यवस्था में पीड़ित हैं।
यह एक ऐसे अवसर के रूप में भी सुझाया गया है, जिसके तहत पुरुष उनके खिलाफ भेदभाव को उजागर कर सकते हैं। 'अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस' पुरुष और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने, लिंग संबंधों में सुधार और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने हेतु मनाया जाता है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो दुनिया में महिलाओं की तुलना में पुरुष तीन गुना अधिक आत्महत्या करते हैं वहीं हर तीन में से एक आदमी घरेलू हिंसा का शिकार है साथ ही यह भी पाया गया कि महिलाओं की तुलना में दोगुने से अधिक पुरुष हृदय रोग से पीड़ित हैं।
भारत में पिछले कुछ सालों में ही यह दिवस लोकप्रिय हुआ है जिस तरह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के प्रति सम्मान जताया जाता है, उसी तरह पुरुषों के प्रति भी सम्मान जताया जाना चाहिए और इसकी शुरुआत अपने घर से ही हो सकती है तो क्यों ना इस खास दिन पर पुरूषों के प्रति सम्मान जताएं और उन्हें ये एहसास दिलाएं कि वो कितने अहम हैं और उनका कितना महत्व है।
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