नई दिल्ली : देश में कोरोना महामारी की स्थिति जटिल बनी हुई है। पुछले कुछ दिनों से संक्रमण के मामले प्रतिदिन साढ़े तीन लाख के करीब आ रहे हैं और रोजाना तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। अस्पतालों में कोरोना मरीजों को बेड्स और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। बीते दिनों में दिल्ली, यूपी, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र सहित करीब 10 राज्यों में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मई के अंत तक संक्रमण अपने पीक पर पहुंचेगा।
कई राज्यों में है मिनी लॉकडाउन जैसी स्थिति
देश में कोरोना संक्रमण जिस रफ्तार से फैल रहा है और जितनी संख्या में लोगों की मौतें हो रही हैं, उसे देखते हुए देश में एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन की मांग की जा रही है। अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी ने भी भारत सरकार को दिए अपने सुझाव में कहा है कि देश में कुछ सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने की जरूरत है। हालांकि, कई राज्य पहले से ही अपने यहां लॉकडाउन लगा चुके हैं। दिल्ली, यूपी, ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश सहित कई ऐसे राज्य हैं जहां या तो लॉकडाउन है या लॉकडाउन जैसी सख्त पाबंदियां लागू हैं।
पूर्ण लॉकडाउन की मांग ने जोर पकड़ी
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए पूरे देश में एक साथ पूर्ण लॉकडाउन लगाने की बहस ने जोर पकड़ी है। बहुत सारे लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार को एक बार फिर पूरे देश में तालाबंदी करनी चाहिए। लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार पिछले साल की तरह इस बार पूर्ण लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं है। केंद्र ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सख्त प्रावधान लागू करने का निर्देश दिया है। राज्य लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगा भी रहे हैं। देश में करीब 150 जिलों में मिनी-लॉकडाउन जैसी स्थिति है।
क्यों भारत में पूर्ण लॉकडाउन नहीं?
गत 20 अप्रैल को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में लागू करने के लिए कहा। पीएम ने कहा कि इस दौरान आर्थिक गतिविधियां और लोगों की आजीविका कम से कम प्रभावित हो। उन्होंने कहा, 'हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है। संक्रमण रोकने के लिए राज्यों को माइक्रो-कंटेनमेंट जोन पर फोकस करना चाहिए।' हालांकि, पीएम का यह बयान उस समय का है जब कोरोना संक्रमण में तेजी आनी शुरू हुई थी और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई नहीं थी। लेकिन अब स्थितियां दूसरी हैं।
विशेषज्ञों की राय-पूर्ण लॉकडाउन लगे
सरकार जहां देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने से बच रही है, वहीं कोविड-19 टास्क फोर्स एवं एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय है कि देश में एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। टास्क फोर्स के सदस्यों का कहना है कि कोरोना का यह वैरिएंट ज्यादा संक्रामक और जानलेवा है। इससे पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को खतरा बना हुआ है। ऐसे में संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए देश में पूर्ण लॉकडाउ लगाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा-लॉकडाउन पर गंभीरता से सोचे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र एवं राज्य सरकारों से कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें गंभीरता पूर्वक विचार कर सकती हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकारें यदि पूर्ण लॉकडाउन की तरफ बढ़ती हैं तो उन्हें पहले हाशिए के लोगों एवं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले वर्ग को सुरक्षा देने के लिए कदम उठाने होंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जनहित में कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए सरकारें लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकती हैं।'
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