टीकाकरण के बाद भी क्‍यों हो रहा संक्रमण, क्‍या है दोबारा संक्रमण की वजह? जानिये क्‍या कहता है विज्ञान

देश
श्वेता कुमारी
Updated Apr 03, 2021 | 11:21 IST

कोरोना वैक्‍सीनेशन के बाद भी क्‍यों हो रहा संक्रमण और दोबारा संक्रमण की वजह क्‍या है? ऐसे कई सवाल हैं, जो लोगों के मन में आ रहे हैं। आखिर इन पर विज्ञान क्‍या कहता है?

टीकाकरण के बाद भी क्‍यों हो रहा संक्रमण, क्‍या है दोबारा संक्रमण की वजह? जानिये क्‍या कहता है विज्ञान
टीकाकरण के बाद भी क्‍यों हो रहा संक्रमण, क्‍या है दोबारा संक्रमण की वजह? जानिये क्‍या कहता है विज्ञान  |  तस्वीर साभार: AP, File Image

नई दिल्‍ली : देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में उछाल के बीच वैक्‍सीन को लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं। देश में अब तक सात करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं और इसके बावजूद संक्रमण की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है। खासकर महाराष्‍ट्र और पंजाब जैसे राज्‍यों हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हैं। कई लोगों को दोबारा संक्रमण हो रहा है तो कहीं वैक्‍सीनेशन के बाद भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। आखिर इन सब पर विज्ञान क्‍या कहता है?

इस बारे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)की एक रिपोर्ट अहम है, जिसमें कहा गया है कि हालांकि पुन: संक्रमण के मामले बहुत कम हैं, लेकिन इस संबंध में वायरस के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम को समझने की आवश्‍यकता है। भारत में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्‍या लगभग 4.5 फीसदी बताई गई है। इनमें पहली और दूसरी बार हुए संक्रमण में वायरस के जीनोम का अध्‍ययन नहीं किया गया है। पुन: संक्रमण की यह दर अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍ययनों में बताई गई 1 फीसदी रि-इंफेक्‍शन के दर से कहीं अधिक है।

इस तरह संभव है कि कोविड-19 का दोबारा संक्रमण वायरस के अलग वैरिएंट्स की वजह से हो। अब तक के वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह स्‍पष्‍ट हो चुका है कि यह वायरस लगातार अपना जीनोम बदल रहा है। भारत में भी हाल में कोरोना वायरस के कई वैरिएंट्स सामने आए हैं।

वैक्‍सीन के बाद भी संक्रमण

इस बीच कोविड-19 वैक्‍सीन लगवाए जाने के बाद भी कई लोगों में दोबारा संक्रमण की बात सामने आई है। शुरू में कहा गया कि वैक्‍सीन की दो डोज उन्‍होंने नहीं ली, जिसकी वजह से उनमें इस वायरस से बचाव के लिए प्रभावी तरीके से इम्‍युनिटी विकसित नहीं हो पाई। लेकिन बाद में कई ऐसे मामले भी सामने आए, जिनमें वैक्‍सीन की दो डोज लेने के बाद भी संक्रमण हुआ है। उत्‍तर प्रदेश के वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी राजेश पांडे ने गुरुवार को एक फेसबुक पोस्‍ट के जरिये बताया था कि वैक्‍सीन की दो डोज लेने के बाद भी उन्‍हें संक्रमण हुआ है।

पुलिस महानिरीक्षक राजेश पांडे के साथ उनकी पत्‍नी, एक सुरक्षाकर्मी भी संक्रमित हुए हैं। उन्‍होंने वैकसीन बताया कि वैक्‍सीन की पहली डोज उन्‍होंने 5 फरवरी और दूसरी डोज 5 मार्च को ली थी। उनके सुरक्षाकर्मी ने भी वैक्‍सीन की दो डोज ली थी, जबकि पत्‍नी ने अभी एक डोज ली है। उनके बेटे को तीन दिन पहले संक्रमण हुआ था। इसके बाद एक बार फिर सवाल पैदा हुआ कि आखिर वैक्‍सीन की दो डोज लेने के बाद भी संक्रमण क्‍यों हो रहा, जबकि वैक्‍सीन निर्माताओं ने दावा किया है कि दो डोज लेने के बाद संक्रमण से बचाव के लिए शरीर में प्रभावी इम्‍युनिटी विकसित हो जाती है।

संक्रमण से बचाने में वैक्‍सीन कितना कारगर?

संक्रमण से बचाव में वैक्‍सीन कितना कारगर है, इस संबंध में वैक्‍सीन निर्माताओं के दावों से पहले यह जान लें कि भारत में इस वक्‍त दो वैक्‍सीन लगाई जा रही है- कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड। कोवैक्‍सीन को भारत बायोटेक ने बनाया है, जबकि कोविशील्‍ड का निर्माण भारत के सीरम इंस्‍टीट्यूट ने ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका के साथ मिलकर किया है। अब संक्रमण से बचाव में वैक्‍सीन के प्रभावी होने के संबंध में वैक्‍सीन निर्माताओं के दावों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि अमूमन सभी वैक्‍सीन निर्माताओं ने अपनी वैक्‍सीन को संक्रमण से बचाव में 70-80 फीसदी कारगर बताया है।

अब अगर वैक्‍सीन को 70 फीसदी की कारगर माना जाए तो इसका अर्थ यह हुआ कि 30 प्रतिशत लोगों में संक्रमण का जोखिम इसके बाद भी बना रहता है। यानी 10 में से 3 लोगों के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। उन्‍हें संक्रमण हो भी सकता है और नहीं भी। इसमें यह सुनिश्चित कर पाना मुश्किल है कि किसे संक्रमण हो सकता है और किसे नहीं। हालांकि भारत में इस वक्‍त जो दो वैक्‍सीन- कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड लगाई जा रही है, उसके निर्माताओं क कहना है कि यह संक्रमण से गंभीर स्थिति पैदा होने और मौतों को रोकने में 100 फीसदी तक कारगर है।

वैक्‍सीन क्‍यों अहम?

वैक्‍सीन निर्माता कंपनियों के इस दावे का सीधा अर्थ यह है कि अगर किसी ने कोविड-19 की वैक्‍सीन लगवाई है और निर्धारित समय के भीतर उसका दो डोज लिया है तो उसमें संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति पैदा नहीं होगी और इस वजह से उसकी जान नहीं जाएगी। कंपनियों के ये दावे वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित हैं और इस तरह विज्ञान के नजरिये से देखें तो वैक्‍सीन संक्रमण के कारण गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य संकट पैदा होने की स्थिति से बचाता है और मौतों को भी रोकता है। साथ ही यह एक बड़ी आबादी, तकरीबन 70 फीसदी लोगों को संक्रमण की चपेट में आने से बचाता भी है।

वैक्‍सीन किस तरह काम करता है, इस बारे में पहले ही बताया जा चुका है कि वैक्‍सीन की दो डोज लेना जरूरी है। कोवैक्‍सीन का दूसरा डोज जहां 28 से 42 दिनों के भीतर लिया जा सकता है, वहीं कोविशील्‍ड का दूसरा डोज 42 से 56 दिनों के बाद लिया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यूं तो वैक्‍सीन का असर पहले डोज के बाद ही शुरू हो जाता है, लेकिन वायरस से लड़ने में यह प्रभावी नहीं होता और इसलिए दूसरा डोज लेने की सलाह दी जाती है। दूसरा डोज लगवाने के 14 दिनों बाद वैक्‍सीन वायरस से लड़ने में प्रभावी हो जाती है।

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