Earthquake: दिल्ली-एनसीआर में क्यों आ रहे हैं इतने भूकंप, क्या ये घबराने की बात है, यहां जानिए

देश
शिवम अवस्थी
Updated May 30, 2020 | 01:19 IST

Earthquake in Delhi-NCR region: उत्तर भारत में खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ समय से लगातार भूकंप आ रहे हैं। क्या है इसकी वजह और क्या हैं सावधानियां, आइए जानते हैं।

Why frequent earthquakes in Delhi-NCR
Why frequent earthquakes in Delhi-NCR, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते भूकंप  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • दिल्ली-एनसीआर में आए दिन क्यों आ रहे हैं भूकंप?
  • कुछ दिन पहले ही आया था भूकंप, शुक्रवार को फिर हिली धरती
  • क्या धरती का बार-बार कांपना भविष्य के लिए कोई संकेत है?

Earthquake in Delhi: दिल्ली और भूकंप (Earthquake) का पुराना नाता रहा है। समय बदला, दायरा बढ़ा, कुछ अन्य शहर बने और दिल्ली-एनसीआर तैयार हुआ। इसके साथ ही भूकंप का दायरा भी बढ़ गया या ये कहें कि इस क्षेत्र में इसका अनुभव करने वालों की संख्या बढ़ गई। शुक्रवार को फिर भूकंप आया, इस बार धरती कई सेकेंड तक हिली। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 ही थी लेकिन इसका केंद्र एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर में ही था। इस बार हरियाणा के रोहतक में भूकंप का केंद्र था। हैरानी वाली बात ये है कि पिछले तकरीबन एक महीने में पांच बार धरती हिल चुकी है। क्या ये किसी बड़े संकट की ओर इशारा है, आइए जानते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में पांच भूकंप

भूकंप पहले भी आते रहे हैं लेकिन पिछले तकरीबन एक महीने में धरती पांच बार कांपी है। दिल्ली-एनसीआर में 12 अप्रैल, 13 अप्रैल, 10 मई, 15 मई और अब 29 मई को भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक 23 मार्च से 10 मई के बीच तकरीबन 11 बार धरती कांप चुकी है। इन सभी मौकों पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.2 से लेकर 4.6 तक रही। बेशक ये बहुत भीषण नहीं था लेकिन ये आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता ही रहा है।

क्यों बार-बार आ रहे हैं भूकंप?

जैसा कि सब जानते हैं कि भूकंप की वजह जमीन के नीचे मौजूद प्लेट्स होती हैं। जब-जब ये अपनी जगह बनाती हैं, या एक दूसरे से टकराती हैं तब कंपन होता है। इसका केंद्र उस जगह को कहा जाता है जहां से ये कंपन उत्पन्न होती है और फिर देखा जाता है कि ये जमीन में कितने नीचे हुआ। अगर बात करें दिल्ली-एनसीआर की तो इसका सेसेमिक स्टेटस (Seismic status) को डेंजर जोन-4 में रखा गया है। जो कि सबसे संवेदनशील कहा जा सकता है।

2005 से 2012 तक तकरीबन 422 बार

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से 2012 के बीच यहां पर तकरीबन 422 पर जमीन के नीचे हरकत हो चुकी है लेकिन औसतन इनकी तीव्रता 3 तक ही रही। इससे ये पता चलता है कि जो ऊपर की सतह है वो हाई टेकटोनिक फ्लक्स में आती है इसलिए यहां भूकंप आना आम बात हो चुका है। दिल्ली पर हिमालय से लेकर हिंदूकुश तक के केंद्र का प्रभाव होता है। दिल्ली में यमुना के पास का क्षेत्र, कुछ उत्तरी दिल्ली के इलाके और कुछ दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के क्षेत्र भूंकप की नजर से सबसे संवेदनशील बताए जाते हैं।

घबराने की बात नहीं है

कुछ ही दिन पहले सेसमोलॉजी सेंटर के एक विशेषज्ञ ने बताया था कि, 'दिल्ली में दो से तीन तीव्रता स्तर पर भूकंप हाल में आते रहे हैं। इसमें कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि ये एक नॉर्मल प्रक्रिया है। पिछले 10 सालों में शहर में तकरीबन 100 बार भूकंप आए हैं।' जबकि एक विशेषज्ञ ने ये भी बताया था कि जमीन के अंदर मौजूद प्लेट बीच-बीच में अपने दबाव को रिलीज करती रहती हैं जिसकी वजह से छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं।

बस जरूरी सावधानियां बरतें

देश इस समय कोरोना महामारी से लड़ रहा है और लोग तकरीबन दो महीनों से अपने घरों में बंद हैं। ऐसे चिंताजनक माहौल में भूकंप और परेशान करने वाला होता है लेकिन शायद अब ये दिल्ली-एनसीआर के लिए आम हो चुका है और आगे भी इसी के साथ रहना होगा। बस सबको जरूरी सावधानियां बरतने की जरूरत हैं। नेशनल सेंटर ऑफ सेसमोलॉजी ने अपनी वेबसाइट पर भूकंप की स्थिति में क्या करना है और क्या नहीं, इसकी जानकारी दे रखी है- आप उसे यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं- भूकंप से पहले, भूकंप के दौरान और भूकंप के बाद क्या करें और क्या ना करें

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