मेड इन इंडिया तेजस की क्यों है मांग,मलेशिया-अमेरिका तक मुरीद,जानें खासियत

Tejas in Demand: तेजस एल्युमुनियम, लिथियम एलॉय, कार्बन फॉइबर कंपोजिट्स और टाइटेनियम एलॉय स्टील से बनाया गया है। इस वजह से तेजस दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में काफी हल्का है। मलेशिया,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मिस्र और अर्जेंटीना भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में रुचि दिखाई है।

LAC TEJAS
तेजस विदेशी धरती पर भी दिखाएगा कमाल ! 
मुख्य बातें
  • MK-1 जहां चौथी पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट है, वही MK-2 पांचवी पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट है।
  • इसे लैडिंग और टेक ऑफ के लिए कम जगह की जरूरत पड़ती है।
  • इसमें लगे रडार हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों में कारगर हैं साथ ही सभी मौसम में काम करने के लिए अनुकूल हैं।

Tejas in Demand: बीते मार्च में जब दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों की लिस्ट आई थी तो उस लिस्ट में भारत पहले नंबर पर था। साल 2017-2021 के दौरान भारत की हथियारों के आयात में 11 फीसदी हिस्सेदारी थी। लेकिन इस लिस्ट में एक खास बात यह थी कि इन चार साल में हथियारों के आयात में सबसे ज्यादा कमी भारत से हुई थी। साफ था कि भारत का फोकस मेड इन इंडिया पर बढ़ गया है। और अब रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भारत के स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट तेजस को लेकर जो बयान दिया है, उससे यह उम्मीद जग गई है कि तेजस, दुनिया में रक्षा बाजार में भारत को एक नई पहचान देगा। 

मलेशिया, अमेरिका सहित इन देशों ने दिखाई दिलचस्पी

रक्षा राज्य मंत्री ने शुक्रवार को संसद में बताया कि मलेशिया के साथ-साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मिस्र और अर्जेंटीना भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में रुचि दिखाई है।  भारत ने मलेशिया को 18 तेजस बेचने की पेशकश की है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस एक इंजन वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है और ध्वनि (Sound) की स्पीड से तेज उड़ता है। इसके पहले रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना के लिए 83 तेजस  विमान (एलसीए) खरीदने का करार एचएएल के साथ किया था। यह करार फरवरी 2022 में 48 हजार करोड़ रुपये में किया गया है। एचएएल 2023 से तेजस की डिलीवरी शुरू कर सकता है।

क्यों है दुनिया में मांग

तेजस एल्युमुनियम, लिथियम एलॉय, कार्बन फॉइबर कंपोजिट्स और टाइटेनियम एलॉय स्टील से बनाया गया है। इस वजह से तेजस दूसरे लड़ाकू विमानों की तुलना में काफी हल्का है। इसका वजन केवल 6560 किलोग्राम है। साथ ही इसकी ताकत भी अपने समकक्ष एयरक्रॉफ्ट से कम नही है। एचएएल जहां  भारतीय वायु सेना और नौ सेना के लिए 2 सीट वाला ट्रेनर विमान बनाती है। इसके अलावा MK-1 और MK-2 मॉडल भी बना रही है।  MK-1 जहां चौथी पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट है, वही MK-2 पांचवी पीढ़ी का एयरक्रॉफ्ट है। तेजस के 50 फीसदी कंपोनेंट मेड इन इंडिया हैं। फरवरी 2019 में इसे एयरफोर्स में शामिल किया गया। प्रोजेक्ट की शुरूआत साल 1983 में हुई थी। और अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए इसे तेजस नाम दिया था।
 

तेजस के फीचर्स  
लंबाई 13.2 मीटर
स्पैन 8.2 मीटर
ऊंचाई 4.4 मीटर
अधिकतम वजन 13.5 टन
टेक ऑफ के लिए जरूरी लंबाई 1700 मीटर
लैंडिंग के लिए जरूरी लंबाई 1400 मीटर
स्पीड 1.6 मैक
कितने क्षेत्र में कर सकता है हमला (रेडियस एक्शन) 300 किलोमीटर

स्रोत: HAL

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असल में तेजस 6500 किलो ग्राम वजन में बेहद कारगर लड़ाकू विमान है। क्योंकि वह 1.6 मैक की स्पीड से उड़ान भरता है। साथ ही इसे लैडिंग और टेक ऑफ के लिए कम जगह की जरूरत पड़ती है। जिसकी वजह से इसके लिए हथियार ले जाना न केवल आसान है। बल्कि दुर्गम क्षेत्रों में लैंडिंग और टेक ऑफ काफी कम क्षेत्र में हो जाती है। इसमें लगे रडार हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों में कारगर हैं साथ ही सभी मौसम में काम करने के लिए अनुकूल हैं। जो तेजस को और घातक बनाते हैं।

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