नंदीग्राम में 'संग्राम' : इस सीट से चुनाव क्यों लड़ना चाहती हैं ममता बनर्जी, क्या हैं इसके मायने

देश
आलोक राव
Updated Jan 20, 2021 | 09:32 IST

West Bengal Election 2021: राज्य सरकार इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप के लिए भूमि अधिग्रहण करना चाहती थी जिसका किसान विरोध कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में 14 ग्रामीणों की मौत हुई।

Why Mamata Banerjee want to fight election from Nandigram seat
नंदीग्राम से इस बार चुनाव लड़ेंगी ममता बनर्जी। 
मुख्य बातें
  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी
  • ममता बनर्जी अभी दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर सीट से विधायक हैं
  • नंदीग्राम से चुनाव लड़कर भाजपा और अधिकारी को देना चाहती हैं चुनौती

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि वह इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी। बनर्जी की यह घोषणा ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई क्योंकि यह क्षेत्र टीएमसी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी का है और इस इलाके में उनका दबदबा माना जाता है। ममता की इस घोषणा को चुनावी रणनीतिकार एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि ममता ने बहुत सोच समझकर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का  फैसला किया है। वह भाजपा को सीधे चुनौती देना चाहती हैं। 

ममता के लिए काफी मायने रखता है नंदीग्राम
राजनीतिक रूप से ममता बनर्जी और टीएमसी के लिए नंदीग्राम बहुत मायने रखता है। यहां किसानों के समर्थन में ममता के आंदोलन ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया। साल 2007 में वामपंथी सरकार के दौरान यहां किसान भूमि अध्रिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। राज्य सरकार इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप के लिए भूमि अधिग्रहण करना चाहती थी जिसका किसान विरोध कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में 14 ग्रामीणों की मौत हुई। किसानों के प्रदर्शन को ममता ने व्यापक समर्थन दिया और यहीं से टीएमसी के 'मा, माटी, मानुष' नारे का जन्म हुआ। नंदीग्राम के किसान आंदोलन ने ममता बनर्जी की छवि एक किसान समर्थक नेता की बनाई। 

अभी भवानीपुर से विधायक हैं टीएमसी प्रमुख
ममता ने 2011 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। मुख्यमंत्री बनने के बाद दक्षिण कोलकाता की भवानीपुर सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। इस सीट पर उन्होंने 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता इस सीट से विजयी हुईं लेकिन इस बार उनका जीत का अंतर करीब 25 हजार वोट था। बता दें कि ममता सात बार लोकसभा के लिए चुनी जा चुकी हैं। इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा कर ममता एक साथ कई संदेश देना चाहती हैं। सबसे पहले वह अपनी किसान समर्थक छवि को फिर से स्थापित करना चाहती हैं। साल 2011 में अपनी इसी छवि के चलते वह वामपंथी सरकार को सत्ता से हटा पाईं। ममता आज जो भी हैं उसमें नंदीग्राम का बहुत बड़ा हाथ है। यहां के लोगों से उनका गहरा जुड़ाव रहा है। 

किसान समर्थक छवि मजबूत करना चाहती हैं
नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली में दो महीन से ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं। किसान इस समय राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में हैं। ऐसे में ममता की संदेश देने की है कि वह किसानों की असली शुभचिंतक हैं। वह कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर चुकी हैं। नंदीग्राम से ममता अपनी किसान राजनीति को और धार देने की कोशिश में हैं। दूसरी बात नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान कर उन्होंने भाजपा को सीधे तौर पर चुनौती दी है। सुवेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने से टीएमसी को एक बड़ा झटका लगा है। 

अधिकारी परिवार का गढ़ है पूर्वी मिदनापुर
अधिकारी नंदीग्राम से विधायक हैं। उनके पिता और भाई दोनों टीएमसी के नेता हैं। अधिकारी के राजनीतिक परिवार का असर पूर्वी मिदनापुर एवं उसके आस-पास के इलाकों में हैं। अधिकारी के बिना यहां से चुनाव जीतना टीएमसी के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिर भी ममता इस चुनौती से घबराई नहीं बल्कि आक्रामक तरीके से भाजपा से मुकाबला करने की रणनीति बनाई है। उन्होंने सीधे तौर पर अधिकारी के वर्चस्व को चुनौती दी है। नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की घोषणा कर ममता ने यहां एक बड़े एवं रोचक राजनीतिक संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। 

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