Service Charge in Restaurant: दिल्ली हाई कोर्ट ने रेस्त्रां में ग्राहकों से अतिरिक्त या ‘अलग’ शुल्क के तौर पर सेवा शुल्क (सर्विस चार्ज) वसूलने के मुद्दे पर कड़े सवाल किए। मंगलवार (17 अगस्त, 2022) को अदालत ने कहा कि इसकी जगह खाने-पीने के दाम बढ़ाने का तरीका अपनाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर रेस्त्रां संचालकों को अपने कर्मचारियों के बारे में चिंता है तो उन्हें कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि कर देनी चाहिए।
कोर्ट ने यह टिप्पणी रेस्त्रां (भोजनालयों) के सेवा शुल्क (Service Tax) मुद्दे के संबंध में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की एक याचिका पर विचार के दौरान की। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद के साथ चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 20 जुलाई के स्थगन आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें रेस्तरां को खाद्य बिलों में डिफॉल्ट रूप से सेवा शुल्क जोड़ने से रोक दिया गया था। बेंच ने यह भी पूछा कि क्या उपभोक्ताओं को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए?
बेंच ने कहा कि एक आम आदमी रेस्त्रां में वसूले जाने वाले सेवा शुल्क को सरकार की तरफ से लगाया गया कर ही समझता है। ऐसे में अगर होटल एवं रेस्त्रां ग्राहक से अधिक राशि वसूलना चाहते हैं तो वे अपने यहां परोसे जाने वाले खाने-पीने के सामान के दाम बढ़ा सकते हैं। फिर उन्हें बिल में अलग से सेवा शुल्क लेने की जरूरत नहीं रह जाएगी।
रेस्त्रां संगठनों की तरफ से कहा गया कि सेवा शुल्क कोई सरकारी कर नहीं है और यह रेस्त्रां में काम करने वाले कर्मचारियों के लाभ के लिए वसूला जाता है। कोर्ट ने इस दलील से असहमति जताई। साथ ही कहा, ‘‘अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाइए, हम आपकी बात सुनेंगे।... वैसे सेवा शुल्क लेने का ताल्लुक रेस्तरां कर्मचारियों से नहीं बल्कि उपभोक्ताओं से है।’’
मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी। 20 जुलाई को देश के उपभोक्ता प्रहरी के नए दिशानिदेशरें पर रोक नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) की चुनौतीपूर्ण याचिका का पालन कर रही थी। पिछली सुनवाई में, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने टिप्पणी की थी, भुगतान न करें। रेस्तरां में प्रवेश न करें। यह पसंद का मामला है। कोर्ट ने स्टे को मंजूर करते हुए यह भी निर्देश दिया है कि सर्विस चार्ज लगाने की जानकारी मेन्यू कार्ड पर प्रदर्शित की जानी चाहिए और अन्यथा प्रदर्शित की जानी चाहिए ताकि ग्राहकों को इस शुल्क के बारे में पता चल सके।
महत्वपूर्ण रूप से, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी टेकअवे आदेश पर सेवा शुल्क नहीं लगाया जा सकता है। इस आदेश के पारित होने से एनआरएआई को बहुत राहत मिली है क्योंकि इसका अन्यथा व्यापार में कार्यरत मानव पूंजी पर सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।(भाषा + आईएएनएस इनपुट्स के साथ)
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