नई दिल्ली। महीना मार्च का है लेकिन एक साल हम आगे बढ़ चुके हैं। यह महीना दो वजहों से डराता है, कोरोना के मामले जब धीरे धीरे लय पकड़ने लगे या उसकी संभावना बनी तो केंद्र सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान किया था। लेकिन मार्च 2020 और मार्च 2021 में बुनियादी फर्क ये है कि तब वैक्सीन नहीं थी और आज वैक्सीन है। इन सबके बीच देश के 6 राज्यों में जिस तरह से कोरोना केस में तेजी आ रही है खासतौर से महाराष्ट्र से वो चिंता की बड़ी वजह है। अब आखिर महाराष्ट्र इतना अधिक क्यों डरा रहा है उसे समझने की जरूरत है।
60 फीसद से अधिक केस महाराष्ट्र से
दरअसल पिछले कुछ दिनों में पूरे देश में कोरोना के जितने केस दर्ज किए गए हैं उनमें से 60 फीसद केस अकेले महाराष्ट्र से है। फरवरी के महीने में महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते हुए केस पर लगाम थी। लेकिन मार्च के शुरुआत से बेलगाम रफ्तार से केस बढ़ने लगे। महाराष्ट्र में फरवरी के महीने में हर रोज 3 हजार से कम मामले दर्ज किए जा रहे थे। लेकिन इस रफ्तार में एकाएक तेजी आई है।
अगर बुधवार की बात करें तो कुल 23 हजार से अधिक कोरोना के नए मामले दर्ज किए गए और यह संख्या पिछले 102 दिन यानी करीब साढ़े तीन महीने में सबसे अधिक है। मार्च 12 से मार्च 18 तक 23 हजार से 25 हजार केस दर्ज हुए। इन सात दिनों में कोरोना के मामले बढ़ते ही गए हैं। अगर इसी अवधि में महाराष्ट्र की बात करें तो 14 हजार से 23 हजार केस दर्ज हैं और ये आंकड़े अखिल भारतीय आंकड़ों के 60 फीसद से अधिक हैं।
आंकड़े खुद दे रहे हैं गवाही
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के 10 जिलों में से 9 जिले महाराष्ट्र के हैं जहां से सबसे अधिक केस दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र के चार जिलों में 10 हजार से अधिक सक्रिय केस हैं। अगर महाराष्ट्र के शहरों की बात करें तो पुणे में 32 हजार, नागपुर में 21, 496, मुंबई में 15,410 और ठाणे में 14, 644 केस हैं। इसके साथ ही अगर मुंबई के आंकड़ों की बात करें तो 1 मार्च को मुंबई में 855 केस थे। लेकिन 17 मार्च को ये आंकड़े बढ़कर 2,377 हो गए। इसके साथ ही अगर पिछले साल अक्टूबर की बात करें तो 7 अक्टूबर 2020 को ये आंकड़े 2,848 थे।
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