नई दिल्ली: पहाड़ी राज्यों में हर साल गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। हर साल बढ़ते तापमान के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जंगल में लगी आग की वजह से जानवर भी अपनी जान बचाने के लिए दूसरे क्षेत्रों की ओर भागने को मजबूर होते हैं। आग के चलते बड़ी तादाद में जंगल खाक हो जाते हैं। अप्रैल और मई मध्य तक बारिश के कारण जंगल शांत रहते हैं, लेकिन उसके बाद आग की घटनाएं धीरे-धेरी बढ़ने लगती हैं। आइए जानते हैं आखिर जंगलों में आग लगने की मुख्य वजह क्या होती है?
तेज गर्मी और धूप का कहर
जंगलों में तेज गर्मी और धूप बनकर टूटती है। इसकी वजह से जंगलों में आग लग जाती है। आमतौर पर गर्मी के दिनों में सूखे पत्तों और घासफूस में आग लग जाती है, जो देखते ही देखते जंगलों को खाक में मिलाकर रख देती है। पिछले साल भी ऐसी ही आग घटनाएं देखने को मिली थीं, जिससे जंगल तबाह हो गए थे। तेज धूप के कारण जंगल में घास और लकड़ियां सूख जाती है जो आग को तेजी से फैलने में मदद करती हैं। वहीं, तेज हवा के कारण आग दूर तक फैलती जाती है।
चीड़ के पत्ते भी अहम वजह
जंगलों में आग लगने की एक अहम वजह चीड़ के पत्ते भी हैं। पहाड़ी भाषा में इन्हें पिरूल कहते हैं। सूखे हुए चीड़ के पत्तों में आग जल्दी लगती है और तेजी से फैलती भी है। चीड़ के पेड़ में 20 से 25 सेमी लम्बे नुकीले पत्ते होते हैं जो गर्मियों से सूखते ही जमीन पर गिरते हैं। ये इतने ज्वलनीशल होते हैं कि अगर थोड़ा भी कहीं आग पकड़ ली तो फिर बुझना मुश्किल होता है और थोड़ा सी हवा चलने पर आग की रफ्तार बेकाबू हो जाती है। हर साल गर्मियों में इससे लाखों हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ जाते हैं और कई जानवर भी मर जाते हैं।
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