नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुनावी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। एक तरफ टीएमसी में भगदड़ मची हुई। बीरभूम से टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय के फैन्स फेसबुक से जब यह जानकारी मिली कि वो 16 जनवरी को दोपहर 2 बजे बड़ा ऐलान कर सकती हैं तो उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन अब शताब्दी रॉय ने खुद साफ कर दिया कि वो जानकारी सही थी। इन सबके बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी को सलाह दी जिसके बाद राजनीति और गरमा गई। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा।
टीएमसी- कांग्रेस, एक दूसरे पर डोरे डालने की कोशिश
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के बिना उनका टिकना मुश्किल होगा। वे कांग्रेस की मदद से सत्ता में आए, लेकिन फिर कांग्रेस को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने डब्ल्यूबी में कांग्रेस और वाम दलों जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कमजोर किया, जिसने भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी बना दिया।उन्हें (ममता बनर्जी) कांग्रेस में आना चाहिए क्योंकि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यदि वे ऐसा महसूस कर सकते हैं, तो उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व में सेना में शामिल होना चाहिए। कांग्रेस ने भाजपा और उसके पूर्वजों का सामना करके इस राष्ट्र में 100 साल तक धर्मनिरपेक्षता बरकरार रखी थी।
टीएमसी ने भी कांग्रेस के प्रस्ताव को दोहराया
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि यदि वाम और कांग्रेस भाजपा विरोधी ताकत हैं, उन्हें TMC के पीछे खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम एकमात्र पार्टी है जो भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ रही है। टीएमसी पूरे जोश खरोश के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। आज समय की मांग है कि जिस तरह से राज्य में सांप्रदायिक शक्तियां पांव पसार रही हैं उस पर लगाम लगाने के लिए सभी दलों को टीएमसी का समर्थन करना चाहिए
टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय का क्या कहना है
मैं टीएमसी में बहुत कुछ झेल रही हूं। फेसबुक पोस्ट वास्तविक है और मेरे द्वारा किया गया था। मैं कल दिल्ली जा रही हूं। अगर मैं दिल्ली जा रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भाजपा में शामिल हो रहा हूं। मैं एक सांसद हूं और दिल्ली जा सकती हूं। अपने 'सतबडी रॉय फैन क्लब' फेसबुक पेज पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में, अभिनेता ने राजनेता के रूप में कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र बीरभूम में पार्टी कार्यक्रमों में उनकी अनुपस्थिति का कारण है, क्योंकि उन्हें पहले से कार्यक्रम के बारे में सूचित नहीं किया गया है।
बीजेपी की तैयारी जोरों पर
बता दें कि दिल्ली में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व बंगाल के बीजेपी नेताओं से चर्चा कर रहा है कि चुनाव से पहले जमीनी स्तर पर किस तरह से आगे बढ़ा जाए। यहां ध्यान रखना जरूरी है कि पिछले डेढ़ महीने में बीजेपी के बड़े नेता दीदी के बंगाल का दौरा कर चुके हैं। अब इस तरह की पूरी राजनीतिक गतिविधि पर जानकारों की क्या राय है उसे भी समझना जरूरी है।
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