इस खतरे के बीच अच्छी बात ये है कि देश ने कोविड टीकाकरण अभियान में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। कोविड के बढ़ते खतरे के बीच ये बड़ी कामयाबी है क्योंकि जितनी जल्दी हमारी पूरी आबादी को वैक्सीन लगेगी उतनी जल्दी कोरोना से लड़ाई में हमारा पलड़ा भारी होगा। देश में अब तक 150 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की खुराक दे दी गई है। भारत ने कोरोना टीकाकरण के मामले में आज बड़ा मुकाम हासिल किया है यानी कोरोना से लड़ने का कवच मिल चुका है। पूरा हिंदुस्तान अपने इस कामयाबी पर खुश है क्योंकि ये जीत का टीका है। ये विजय की वैक्सीन है।
सच ही है हिंदुस्तान ने टीकाकरण का वो पड़ाव पार कर लिया है। जो किसी पहाड़ से कम नहीं था। कोई संदेह नहीं एक साल से कुछ दिन पहले ही 150 करोड़ खुराक देकर एक भारत ने एक 'ऐतिहासिक मुकाम' हासिल किया है। कोरोना 100 साल की सबसे बड़ी महामारी है , इस बात में कोई दो राय नहीं। विशेषज्ञों की माने तो कोरोना की देश में तीसरी लहर आ चुकी है। ऐसे में कई डरावने सवाल उठ रहे हैं कि क्या है इस नए वेरिएंट का खतरा क्या अब कभी नहीं रुकेगा कोरोना? जाने क्या बोले डॉक्टर सुरेश कुमार:-
कोलकाता के चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान परिसर का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वैक्सीनेशन को बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि ये 130 करोड़ लोगों के सामर्थ्य का प्रतीक है। ऐसी कामयाबी जो दुनिया के बड़े देशों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं। वैक्सीनेशन के इस मुकाम तक पहुंचना हिंदुस्तान के लिए आसान नहीं था। इस दौरान बहुत कुछ पाया, तो बहुत कुछ खोया भी।
कोरोना की वजह से देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई। 2020-21 में जहां भारत की जीडीपी 7 से 8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान था वो कोरोना की वजह से 7.3% तक गिर गई। इस हिसाब से भारत को करीब 30 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान सहना पड़ा। कोरोना की पहली लहर में 12 करोड़ 20 लाख लोगों की नौकरी गई। दूसरे वेव में 2 करोड़ 27 लाख लोगों की जॉब छिन गई। देश के करीब 55 फीसदी लोगों को डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कोरोना की वजह से पहले से ही खस्ताहाल देश का हेल्थ सिस्टम चरमा गया, बावजूद इसके भारत इन मुश्किलों से पार पाने में कामयाब रहा। जान माल का नुकसान तो हुआ, लेकिन कोरोना की वजह से भारत को हासिल भी काफी कुछ हुआ। इस दौरान भारत की असली शक्ति सामने आई। भारत आत्मनिर्भर बनने की तरफ अग्रसर हुआ। खुद की वैक्सीन बनाई। अगर हम खुद की वैक्सीन नहीं बना पाते तो सबसे ज्यादा तबाही भारत में ही होती। क्योंकि भारत की आबादी 130 करोड़ है। हमें इस दौरान महामारी से लड़ने की सीख मिली। हेल्थ सिस्टम को दुरुस्त करने का सबक मिला। उससे बड़ी बात अनेकता वाले देश में एक नई किस्म की एकता जागृत हुई।
कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन अब डराने लगा है। तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जिनमें नए वेरिएंट ओमिक्रॉन वाले केस भी शामिल हैं। ओमिक्रॉन की बात करें तो यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एनालिसिस के मुताबिक-
इसके चार सबसे आम लक्षण जिसमें खांसी, थकान, कफ और नाक बहना है।
लेकिन एम्स की स्टडी में ओमिक्रॉन के लक्षण चार की जगह पांच बताए गए हैं।
एम्स की स्टडी के मुताबिक-
सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस होगा
प्रतिक्रिया देने में देरी
सांस लेने में कठिनाई
ऑक्सीजन सैचुरेशन में गिरावट
लगातार बुखार
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