माता अन्नपूर्णा देवी की चुराई गई प्रतिमा को कल उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। इस खास मौके पर संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी, शिक्षा मंत्री और यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, हेवी इंडस्ट्री मंत्री महेन्द्रनाथ पांडे के अलावा मौजूद रहेंगे। यूपी चुनाव से पहले मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा का वापस आना और जल्द ही काशी विश्वनाथ में स्थापित होने के अपने मायने है। करीब 100 साल के बाद माता अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा वापस भारत आई है। इस प्रतिमा को बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित की जाएगी। इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर की कटोरी और दूसरे हाथ में चम्मच है।
1913 में इस प्रतिमा को चुरा कर कनाडा ले जाया गया था। ऐसी जानकारी है कि 1913 से पहले काशी के एक घाट से चुरा ली गई थी। पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों के बाद मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को वापस लाया जा सका है। पिछले साल पीएम मोदी ने मन की बात में इस प्रतिमा को भारत वापस लाने के बारे में जानकारी दी थी।
बीते 100 साल से यह प्रतिमा यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना के मैकेंजी आर्ट गैलरी का हिस्सा थी। यही नहीं पीएम मोदी दुनिया के अलग-अलग देशों में भारतीय इतिहास और संस्कृति से जुड़ी प्रतिमा, वस्तुओं को वापस लाने में लगे है। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने अमेरिका से हजारों साल पुराने 157 कलाकृतियां और मूर्तियों को वापस भारत अपने साथ लाया था जिसमें ज्यादातर चुराई हुई थी।
ब्रिटिश काल में 100 वर्ष पहले काशी से कनाडा गई मां अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा एक बार फिर काशी में प्रतिष्ठापित होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों से भारत को वापस मिली प्रतिमा 11 नवंबर को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद को सौंपी जाएगी, जिसके बाद पुनर्स्थापना यात्रा के माध्यम से मां अन्नपूर्णा 18 जिलों में भक्तों को दर्शन देते हुए 14 नवंबर को काशी पहुंचेगी। अगले दिन (15 नवंबर) देवोत्थान एकादशी के खास मौके पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नवीन परिसर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधि-विधान से प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे।
नई दिल्ली में प्रतिमा हस्तांतरित होने के बाद अगले 04 दिनों में भव्य शोभायात्रा गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, कासगंज, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ और जौनपुर होते हुए 14 नवंबर को अपराह्न साढ़े चार बजे वाराणसी पहुंचेगी। मां अन्नपूर्णा की शोभायात्रा को भव्य बनाने के लिए सभी सम्बंधित 18 जिलों में तैयारियां की जा रही हैं। शोभा यात्रा के लिए तय रूट के मुताबिक पहले दिन का रात्रि विश्राम तीर्थ क्षेत्र सोरों कासगंज में होगा जबकि दूसरे दिन कानपुर और तीसरे दिन अयोध्या में रात्रि विश्राम के लिए रुकेगी। हर जिले में शोभायात्रा का स्वागत जनपद के स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रभारी मंत्री करेंगे। इसमें आम जनता की भी सहभागिता होगी। 15 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में वाराणसी में भव्य समारोह आयोजित कर प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।
शोभायात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव
11 नवंबर- मोहन मंदिर, गाजियाबाद, दादरी नगर शिव मंदिर, गौतमबुद्ध नगर, दुर्गा शक्ति पीठ खुर्जा, बुलंदशहर, रामलीला मैदान, अलीगढ़, हनुमान चौकी, हाथरस और सोरों, कासगंज।
12 नवंबर- जनता दुर्गा मंदिर, एटा, लखोरा, मैनपुरी, मां अन्नपूर्णा मंदिर तिर्वा, कन्नौज, पटकापुर मंदिर कानपुर।
13 नवंबर- झंडेश्वर मंदिर, उन्नाव, दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर , लखनऊ, भिटरिया बाईपास, बाराबंकी, हनुमान गढ़ी, अयोध्या।
14 नवंबर- दुर्गा मंदिर कस्बा केएनआईटी, मीनाक्षी मंदिर प्रतापगढ़, दौलतिया मंदिर जौनपुर, बाबतपुर चौराहा व शिवपुर चौक, वाराणसी।
भारत को अमेरिका से जल्द मिलने वाली हैं 157 और दुर्लभ धरोहर
बीते दिनों लखनऊ आए केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया था कि पीएम मोदी के हालिया अमेरिका दौरे के बाद 157 ऐसी ही धरोहरों की वापसी का रास्ता साफ हुआ है। यह भी जल्द भारत लाई जाएगी। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक 2014 के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 42 दुर्लभ धरोहरों की देश वापसी हो चुकी है, जबकि 1976 से 2013 तक कुल 13 दुर्लभ प्रतिमाएं-पेंटिंग ही वापस लाई जा सकी थीं।
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