Yogi Adityanath Janmdin Vishesh: भगवा वस्त्रधारी, हिंदुत्ववादी छवि के पुरोधा योगी आदित्यनाथ का आज (5 जून) जन्मदिन है। कोरोना महामारी को पटखनी देने और उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता को सुरक्षा प्रदान करने के हर संभव प्रयास में लगे योगी आदित्यनाथ 48 साल के हो गए हैं। गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे योगी 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बेबाक अंदाज और कठोर छवि के लिए मशहूर योगी ने प्रदेश में कानून व्यवस्था और सुशासन स्थापित करने की दिशा में अभूतपूर्व काम किया है। हालांकि उन पर हमेशा से ही मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं।
लेकिन एक सच ये भी है कि अगर आप योगी आदित्यनाथ की जिंदगी के पन्ने पलटना शुरू करेंगे तो आपको कई ऐसी कहानियां मिलेंगी जिससे आपके मन का यह भ्रम दूर हो जाएगा कि वह मुस्लिमों से नफरत करते हैं। गोरखपुर की गलियां ऐसी कहानियों से भरी पड़ी हैं। इसमें बहुत सी तो लोकोक्तियों में बदल चुकी हैं कि कैसे योगी ने लोगों के लिए मदद के हाथ बढ़ाए, कैसे वह घटनास्थल पर पहुंचते और पुलिस पर पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए दबाव बनाते।
सांसदी के शुरुआती दिनों की बात है। योगी आदित्यनाथ को पता चला कि बलदेव प्लाजा मार्केट में एक मुसलमान दर्जी से फिरौती की मांग की शिकायत पर पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है तो उन्होंने फैसला किया कि वह पुलिसिया रवैये के खिलाफ सड़क पर धरना देंगे। गर्मी की उस दोपहर उनके एक करीबी ने उन्हें समझाया भी- अरे छोड़िए, कहां एक मुसलमान के पीछे धरना देंगे। योगी ने उसे झिड़कते हुए कहा- वह व्यापारी पहले है। उस करीबी को योगी व अन्य सहयोगियों के साथ उस तपती सड़क पर धरने पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ा। धरना तीन घंटे चला और तभी खत्म हुआ जब पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया।
जब मुसलमानों की बने ढाल
2014 में पुराने गोरखपुर इलाके में अंसारी समुदाय के लोग जामा मस्जिद की ओर जाने वाली सड़क बंद किए जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। चूंकि विरोधी पक्ष सत्तारूढ़ सपा सरकार का करीबी था, इसलिए स्थानीय प्रशासन अंसारी लोगों के पक्ष को अनदेखा कर रहा था। एक दिन जब अंसारी समुदाय के लोग सड़क खोलने की मांग को लेकर धरना दे रहे थे, पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। जब कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया, तो, वे लोग योगी से मिले। उन्होंने उनकी बात ध्यान से सुनी और उन्हें मदद का आश्वासन दिया। कुछ दिन बाद, वह खुद पुराने शहर में गए और बंद सड़क खोलने का निर्देश दिया। कुछ ही मिनटों में, अनाधिकृत दीवार गिरा दी गई और मस्जिद की ओर जाने का रास्ता खुल गया।
मदरसे की जमीन कराई कब्जामुक्त
गोरखुपर के राहुपुर कॉलोनी में कुछ स्थानीय उपद्रवियों ने मदरसे की जमीन कब्जा ली थी। मौलवी की गुहार स्थानीय प्रशासन ने नहीं सुनी और आखिरकार उन्हें मंदिर की शरण में आना पड़ा। योगी को स्थिति से अवगत कराया गया। वह आश्वस्त हो गए कि जमीन मदरसे की ही है तो उन्होंने एसएसपी से बात की और उन्हें एक घंटे में जमीन खाली कराने का निर्देश दिया। मदरसे को जमीन वापस मिल गई और सभी ने योगी का शुक्रिया अदा किया।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर मिश्र की अनुवादित पुस्तक 'योद्धा योगी' में इन सभी घटनाओं की विवरण है। )
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