लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का फैसला किया है। इसके लिए योगी सरकार ने अधिकारियों को एक पुख्ता रोडमैप बनाने का आदेश दे दिया है। सरकार इस बात का ध्यान रखेगी कि प्रवासी मजदूरों को वापस गृह राज्य लाते समय लॉकडाउन नियमों का कम से कम उल्लंघन हो। लॉकडाउन में अंतर-राज्य यात्रा करने पर मनाही है।
सरकार का कहना है कि वह मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाएगी। योगी सरकार पहले भी राजस्थान के कोटा में फंसे करीब 8 हजार छात्रों को निकाल चुकी है। हालांकि अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जाएगा। सरकार उन्हीं प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों से निकालेगी जिन्होंने क्वरंटाइन में अपने 14 दिन पूरे कर लिए हों। आने वाले दिनों में योगी सरकार इन प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए अपने यहां से बसें भेजेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के इस फैसले को अन्य राज्यों को अवगत कराने के लिए राज्य के आला अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि जिन राज्यों में यूपी के मजदूर फंसे हैं, उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मजदूरों को यूपी की सीमा तक पहुंचाने का प्रबंध करने के लिए कहा जाए। इसके बाद यूपी सरकार इन प्रवासी मजदूरों को उनके गृह स्थल तक पहुंचाएगी।
प्रवासी मजदूरों के जिला स्तर पहुंच जाने के बाद एक बार फिर उन्हें 14 दिनों के क्वरंटाइन में रखा जाएगा। क्वरंटाइन का समय पूरा हो जाने के बाद उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और इस टेस्ट में कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद उन्हें घर जाने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इन मजदूरों को रखे जाने के लिए अधिकारियों से शेल्टर होम्स बनाए जाने का निर्देश दिया है। इन शेल्टर होम्स में मजदूरों के खाने-पीने और सफाई की व्यवस्था रहेगी।
योगी सरकार का कहना है कि क्वरंटाइन में 14 दिनों का समय पूरा कर लेने के बाद एक बार फिर मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। जांच में रिपोर्ट निगेटिव मिलने पर उनकी बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक राशन किट और 1000 रुपए दिए जाएंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कोविड-19 से संक्रमण की संख्या बढ़कर 1510 हो गई है। इस महामारी से अब तक 24 लोगों की जान गई है जबकि उपचार के बाद 204 लोगों को ठीक किया गया है।
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