लखनऊ: प्रवासी मजदूरों को लेकर शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र सामना के जरिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। शिवसेना के राज्यसभा सांसद और सामना के एडिटर संजय राउत ने संपादकीय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से की है। जिस पर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय की तरफ से पलटवार किया गया है।
सौतेले मां बनकर तो दे देते सहारा
मुख्यमंत्री योगी के दफ्तर की तरफ से किए ट्वीट में संजय राउत पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा, 'श्री संजय राउत जी एक भूखा बच्चा ही अपनी माँ को ढूंढता है। यदि महाराष्ट्र सरकार ने 'सौतेली माँ' बन कर भी सहारा दिया होता तो महाराष्ट्र को गढ़ने वाले हमारे उत्तर प्रदेश के निवासियों को प्रदेश वापस न आना पड़ता।'
यूपी सरकार रखेगी प्रवासियों का खयाल
अपने अगले ट्वीट में योगी की तरफ से कहा गया, 'अपने घर पहुँच रहे सभी बहनों भाइयों का प्रदेश में पूरा ख्याल रखा जायेगा।अपनी कर्मभूमि को छोड़ने के लिए मजबूर करने के बाद उनकी चिंता का नाटक मत कीजिए। सभी श्रमिक कामगार बंधु आश्वस्त हैं कि अब उनकी जन्मभूमि उनका हमेशा ख्याल रखेगी, शिवसेना और कांग्रेस आश्वस्त रहे। अपने खून पसीने से महाराष्ट्र को सींचने वाले कामगारों को शिवसेना-कांग्रेस की सरकार से सिर्फ छलावा ही मिला। लॉकडाउन में उनसें धोखा किया, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया और घर जाने को मजबूर किया। इस अमानवीय व्यवहार के लिए मानवता श्री उद्धव ठाकरे जी को कभी माफ नहीं करेगी।'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युजंय कुमार ने भी सामना में लिखे आर्टिकल पर चुटकी लेते हुए लिखा, 'राज्य में बढ़ते केस नहीं संभल रहे तो उसकी झेंप छुपाने के लिए महंत योगी आदित्यनाथ जी पर अभद्र टिप्पणियाँ करा रहे हैं ‘बेस्ट सीएम’'
सबसे ज्यादा श्रमिक लौटे यूपी
आपको बता दें कि लॉकडाउन के दौरान यूपी में सबसे ज्यादा प्र प्रवासी श्रमिकों ने वापसी की है। राज्य में अभी तक 1113 ट्रेन आ गई हैं जिनमें 14 लाख 88 हजार लोग आए हैं और इसके अलावा दो से तीन दिनों के अंदर 103 ट्रेने और आने वाली हैं। प्रवासियों के लिए योगी सरकार लगातार जुटी हुई है और स्किलिंग का डाटा लेने के बाद मजदूरों की स्क्रीनिंग भी की जा रही है। यह भी निर्देश दिया कि जब तक व्यक्ति 14 दिन की अपनी क्वारंटीन की अवधि खत्म करे उससे पहले उस व्यक्ति को भरण पोषण भत्ता के रूप में 1 हजार रुपया दे दिया जाए।
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