पूरे विश्व में इस समय जिस चीज की चर्चा है, वो है कोरोना वायरस। एक ऐसा वायरस जो चीन के वुहान शहर में पैदा हुआ और इसने पहले पूरे चीन को अपनी चपेट में लिया और इटली होते हुए दुनिया के बाकी देशों में कहर बरपाना शुरू किया। दुनियाभर में 3 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका यह वायरस 13 हजार से ज्यादा इंसानों का जीवन समाप्त कर चुका है। भारत में भी इसने पांव पसार लिए हैं। यहां अभी तक कुल 324 मामले सामने आए हैं।
कोरोना के कहर को रोकने के लिए भारत सरकार और सभी प्रदेश सरकारें हर संभव कदम उठा रही हैं। 22 मार्च को पूरे देश में सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू भी अमल में है। राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे अधिक 63 मामले सामने आए हैं। वहीं केरल में 40, दिल्ली में 26 और जनसंख्या की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 24 मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर को कोरोना होने की पुष्टि हुई और उनके द्वारा की गई पार्टी में कई नामचीनों के शामिल होने की खबर के बाद प्रदेश की योगी सरकार एक्शन में आ गई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना को लेकर पहले ही सतर्कता बरतने, जरूरी चिकित्सा के इंतजाम करने और मॉल-मल्टीप्लेक्स बंद रखने के निर्देश दे दिए थे। और उसके बाद 21 मार्च को कोरोना पर बात करते हुए प्रेसवार्ता में योगी आदित्यनाथ जिस तरह एक्शन में नजर आए वह सराहनीय है। दिहाड़ी मजदूर, सफाईकर्मियों और गरीबों की मदद के लिए राहत पैकेज के ऐलान ने उनकी छवि बदल दी है। यह किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं कि 80 लाख से ज्यादा मजदूरों की सीधे सीधे मदद भेजी जाए। बावजूद इसके कोरोना वायरस को मात देने के लिए योगी मॉडल पूरी तरह तैयार है।
35 लाख दिहाड़ी मजदूरों तथा खोमचे वालों को प्रति महीने 1000 रुपये आर्थिक सहायता देने का योगी आदित्यनाथ का ऐलान रोज कमाकर खाने वालों की परेशानी को काफी हद तक कम करने का काम करेगा। उत्तर प्रदेश श्रम विभाग में 20 लाख 37 हजार पंजीकृत श्रमिक हैं वहीं 15 लाख से अधिक दैनिक सफाईकर्मी ढेले वाले हैं। सरकार इन सभी के खातों में भरण-पोषण के लिए सीधे एक एक हजार रुपये भेजेगी। वहीं 58000 ग्राम सभाओं से 20-20 मजदूरों को भी लाभान्वित किया जाएगा।
प्रदेश में 1.65 करोड़ से ज्यादा अन्त्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को एक माह का निशुल्क राशन अप्रैल में उपलब्ध करवाने के निर्देश भी योगी आदित्यनाथ ने दिया है। अगर कोरोना वायरस के चलते प्रदेश के सभी कार्य बंद होंगे, तो दैनिक मजदूर जीवन यापन कैसे करेंगे? इस संदर्भ में सरकार का उनके हितों के बारे में सोचना यह साबित करता है कि योगी आदित्यनाथ ने किसी वर्ग, धर्म, जाति से ऊपर उठकर गरीबों के जीवन की चिंता की। चाहे कोई उनका विरोधी हो, विपक्षी हो, लेकिन इस फैसले की तारीफ खुले शब्दों में करे ना करे, मन ही मन जरूर करेगा।
कोरोना वायरस को मात देने के लिए योगी आदित्यनाथ ने कड़े फैसले लिए हैं। अगर जरूरत पड़ी तो जनता कर्फ्यू को और बढाया जा सकता है। प्रदेश के तीन शहर लखनऊ, कानपुर और नोएडा को सेनेटाइज किया जाएगा। पूरे प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है और खुद सीएम योगी आदित्यनाथ नजर बनाए हुए हैं। अपने मंत्रियों को उन्होंने आइसोलेशन में रहने की हिदायत दी है।
योगी आदित्यनाथ सरकार तीन साल पूरे कर चुकी है और इस तरह के फैसलों से वह जननेता बनकर उभरे हैं। स्वास्थ्य के मोर्चे पर सरकार ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन यहां सराहना एक दूसरी बात की भी होनी चाहिए। यह सरकार गरीबों या लाभार्थियों के खाते में सीधे लाभ भेजने वाली सरकार साबित हुई है।
डिस्क्लेमर: इस प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।
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