नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जब अचानक लद्दाख पहुंचे तो हर कोई हैरान था। मीडिया में भी किसी को भनक तक नहीं थी कि पीएम मोदी लद्दाख पहुंचने वाले हैं। लद्दाख पहुंचने के बाद पीएम ने सबसे पहले अधिकारियों से मिलकर एलएसी पर ताजा हालातों की जानकारी ली और फिर उन सैनिकों से बात की जो चौबीसों घंटे देश की रक्षा केलिए सीमा पर तैनात रहते हैं और चीन की हर हरकत पर नजर रखते हैं।
वीरता को किया सलाम
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने न केवल सैनिकों का हौसलफजाई की बल्कि उनकी वीरता को भी सलाम किया। इस दौरान पीएम मोदी ने एक कैप पहनी थी जिस पर शायद आपने भी ध्यान दिया होगा। यह कैप कोई साधारण कैप नहीं थी बल्कि यह उस 14वीं की कैप थी जिसे फायर एंड फ्यूरी कहा जाता है। इस कैप में उसी कोर का चिह्न है। फायर एंड फ्यूरी वह कोर है जो लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी करती है। इसकी वीरता के कई किस्से जगजाहिर हैं।
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स
'फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स' की स्थापना करगिल युद्ध के बाद 2 सितंबर 1999 में हुई थी। इसका प्रतीक चिन्ह के बारे में बात करें तो इसमें एक तलवार को आर पार करते हुए दो जलते हुए वज्र होते हैं। इसमें वज्र हिंदू और बौद्ध दोनों में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और शक्ति तथा जीत का प्रतीक है। इस तरह के प्रतीक का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। 14 कोर भारतीय सेना में एकमात्र कोर है जो पाकिस्तान और चीन दोनों का सामना करती है। दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन 14 कोर के दायरे में आता है।
पीएम ने किया था फायर एंड फ्यूरी का जिक्र
पीएम मोदी ने फायर एंड फ्यूरी का जिक्र करते हुए कहा था, 'सिंधु के आर्शीवाद से ये धरती पुण्य हुई है। वीर सपूतों के शौर्य और पराक्रम की गाथाओं को ये धरती अपने-आप में समेटे हुए है। लेह-लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचिन तक, रिजांगला की बर्फीली चोटियों से लेकर गलवान घाटी के ठंडे पानी की धारा तक, हर चोटी, हर पहाड़, हर जर्रा-जर्रा, हर कंकड़-पत्थर भारतीय सैनिकों के पराक्रम की गवाही देते हैं। 14 कॉर्प्स की जांबाजी के किस्से तो हर तरफ हैं। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है, जाना है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही हैं और भारत माता के दुश्मनों ने आपकी फायर भी देखी है और आपकी फ्यूरी भी।'
चीन को संदेश
चीन का ना लिए बगैर पीएम मोदी ने कहा था, ', विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है, ये युग विकासवाद का है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए ही अवसर हैं और विकासवाद ही भविष्य का आधार भी है। बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया, मानवता को विनाश करने का प्रयास किया। विस्तारवाद की जिद जब किसी पर सवार हुई है, उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है।'
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