अमृतम् संस्कृतम् मित्र, सरसम् सरलम् वचः, एकता मूलकम् राष्ट्रे, ज्ञान विज्ञान पोषकम्। अर्थात, हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। हाल ही में, मुझे कई ऐसे लोगों के बारे में जानने को मिला, जो विदेशों में संस्कृत पढ़ाने का प्रेरक कार्य कर रहे हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं श्रीमान् रटगर कोर्टेनहॉर्स्ट, जो Ireland में संस्कृत के जाने-माने विद्वान और शिक्षक हैं और वहाँ के बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं। डॉ. चिरापत प्रपंडविद्या और डॉ. कुसुमा रक्षामणि, ये दोनों Thailand में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं | उन्होंने थाई और संस्कृत भाषा में तुलनात्मक साहित्य की रचना भी की है। ऐसे ही एक प्रोफेसर है, श्रीमान बोरिस जाखरिन, Russia में Moscow State University में ये संस्कृत पढ़ाते हैं। उन्होंने कई शोध पत्र और पुस्तकें प्रकाशित की हैं | उन्होंने कई पुस्तकों का संस्कृत से रुसी भाषा में अनुवाद भी किया है। साथियो, अगर आप इस तरह के प्रयास में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, ऐसी किसी जानकारी आपके पास है तो कृपया #CelebratingSanskrit के साथ social media पर उनसे संबंधित जानकारी जरुर साझा करें : पीएम मोदी