सोमवार को जब सत्र की शुरुआत हुई तो निलंबित सांसदों की सजा को बहाल रखा गया। सभापति के इस फैसले का विपक्षी दलों ने जबरदस्त विरोध किया। इसके साथ ही कृषि कानून वापसी बिल को जिस तरह से सरकार ने दोनों सदनों में पारित कराया उस प्रक्रिया पर भी विपक्ष को ऐतराज है। विपक्षी दलों का कहना है कि जब सर्वदलीय बैठक में तय हुआ था कि कृषि बिल पर विस्तार से चर्चा के बाद आगे बढ़ा जाएगा तो इतना जल्दबाजी में पारित क्यों कराया गया। लेकिन सरकार की तरफ से बयान आया कि उस विषय पर पहले ही चर्चा कराई जा चुकी है। जहां तक विपक्षी दलों के हंगामे का सवाल है तो वो उनकी फितरत बन चुकी है।