नई दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की गुरुवार को जैसे ही मतगणना शुरू हुई वैसे ही देश की राजनीति में एक युवा नेता का नाम उभरकर सामने आया। माना जा रहा था कि ठाकरे खानदान के चुनावी मैदान में उतरने वाले पहले नेता बने आदित्य ठाकरे जमकर सुर्खियां बटोरेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महाराष्ट्र के परिणाम तो भाजपा और शिवसेना की अपेक्षाओं के आशानुरूप आए लेकिन हरियाणा की बिसात पर धीरे-धीरे समीकरण बदलते गए। माना जा रहा था कि भाजपा मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल हो जाएगी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा की कमान में कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा को कड़ी टक्कर देने में सफल रही। ऐसे में सत्ता की 'चाबी' इसी चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरने वाली दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) के हाथ में आई है।
महज 10 महीने पहले परिवार से बगावत कर नई पार्टी का गठन करने वाले दुष्यंत चौटाला खुद को चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी साबित करने में सफल हुए हैं। 9 दिसंबर 2018 को अस्तित्व में आई जजपा ने एक साल के अंदर हरियाणा में अपनी सियासी जमीन बेहद मजबूत की। पार्टी ने सबसे पहले जींद उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। उसके बाद लोकसभा चुनाव लड़ा और इसके बाद विधानसभा चुनाव की सभी सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा।
31 वर्षीय दुष्यंत ने साल 2014 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाले के पोते दुष्यंत ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेता माने जाने वाले कुलदीप विश्नोई को मात देकर संसद में पहुंचे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होने वाले वो सबसे युवा सांसद थे।
2018 में छोड़ी इनेलो और किया जेजेपी का गठन
ओम प्रकाश चौटाला के जेल जाने के बाद चौटाला परिवार दो धड़ों में बंट गया है। इंडियन नेशनल लोक दल(इनेलो) में फूट हो गई। ऐसे में अजय सिंह चौटाला के पुत्र और सासंद दुष्यंत ने दिसंबर 2018 में एक नई पार्टी का गठन करने का निर्णय किया। इनेलो की कमान जहां ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है। जेजेपी अपने गठन के बाद 10 महीने में पार्टी तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरी। पार्टी सबसे पहले पहले जींद उपचुनाव में अपनी किस्तम आजमाई। उनकी पार्टी के उम्मीदवार को 37,631 वोट मिले और उनकी पार्टी दूसरे पायदान पर रही। इसके बाद जेजेपी लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरी। और अब विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
महागठबंधन बनाने की कवायद में थे शामिल
दुष्यंत चौटाला साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन बनाने की कवायद में भी शामिल रहे थे। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल( सेकुलर),राष्ट्रीय जनता दल और इंडियन नेशनल लोकदल और समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई दौर की बैठकों में हिस्सा लिया लेकिन महागठबंधन बनाने की कवायद असफल रही।
अमेरिका में कर चुके हैं पढ़ाई
3 अप्रैल 1988 को हरियाणा के हिसार जिले के दारौली में हुआ। पिता अजय चौटाला और मां नैना सिंह की देखरेख में आरंभिक शिक्षा हिसार के सेंट मेरी स्कूल में हासिल की। इसके बाद आगे की शिक्षा हिमाचल प्रदेश के सनावर स्थित लॉरेंस स्कूल में हासिल की। वहां से बीएसी करने के बाद मैनेजमेंट की पढ़ाई करने अमेरिका चले गए और कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से मास्टर्स ऑफ लॉ भी किया।
दुनिया के 100 फ्यूचर लीडर्स में मिली थी जगह
दुष्यंत चौटाला को अंतरराष्ट्रीय स्तर के ग्लोबल नेटवर्क 'ए-पोलिटिकल डॉट को' ने साल 2018 में दुनिया के 100 भविष्य के नेताओं की सूची में शामिल किया था। इस सूची में दुष्यंत सहित भारत के कुल छह युवा चेहरों को जगह मिली थी। वहीं दुष्यंत चौटाला को अमेरिका के एरिजोना की असंबली अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है।
मेघना अहलावत से हुआ विवाह
18 अप्रैल 2017 को मेघना अहलावत से उनका विवाह हुआ। मेघना के पिता परमजीत अहलावत आईपीएस अधिकारी हैं।
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