वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोनावायरस के प्रकोप के खिलाफ सरकार द्वारा छेड़ी गई जंग से प्रभावित गरीबों और मजदूरों की कठिनाइयों को देखते हुए गुरुवार को 1,70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज के रूप में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोनावायरस के प्रकोप के खिलाफ सरकार द्वारा छेड़ी गई जंग से प्रभावित गरीबों और मजदूरों की कठिनाइयों को देखते हुए गुरुवार को 1,70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज के रूप में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की।
वित्तमंत्री ने कहा कि इस पैकेज के तहत गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को सीधे उनके बैंक खाते में नकद राशि का हस्तांतरण कर उनको खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कोरोना संकट से प्रभावित गरीबों के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए इसे नाकाफी करार दिया और कहा कि सरकार को किसानों, दिहाड़ी मजदूरों और वेतनभोगी वर्ग को ज्यादा राहत देनी चाहिए।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे चिकित्साकर्मियों का वेतन दोगुना किया जाए तथा कर्ज पर जाने वाली ईएमआई को कुछ महीनों के लिए टाला जाए।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने मांग की थी कि दिहाड़ी मजदूरों, वेतनभोगी लोगों, गरीबों और किसानों की मदद की जाए। आज सरकार ने एक पैकेज की घोषणा की जिसका हम स्वागत करते हैं। कोरोना से लड़ाई लड़ने और लोगों की मदद के लिए यह कम है।’
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के प्रकोप की रोकथाम के मद्देनजर देश में जारी लॉकडाउन के कारण देश में कोई भी गरीब भूखा न रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत उन्हें अगले तीन महीने तक पांच किलो प्रति व्यक्ति मुफ्त गेहूं या चावल दिया जाएगा।
किसानों, गरीब विधवा, पेंशनधारी, दिव्यांगों और जनधन खातारधारक महिलाओं, उज्जवला योजना लाभार्थियों, महिला स्वयं सहायता समूहों समेत निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को राहत प्रदान करने की भी घोषणा की गई है।
मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी मजदूरी बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गई है।
इसके अलावा स्वंय सेवा समूहों की महिलाओं और संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों, कंस्ट्रक्शन से जुड़े मजदूरों को मदद दी जाएगी।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना का दो हजार रुपये देने का निर्णय लिया, लेकिन यह राशि तो छह हजार रुपये वार्षिक है। चार हजार रुपये काट क्यों लिया गया?'
उन्होंने पूछा कि पूरे छह हजार इस संकट की घड़ी में किसान को क्यों नहीं दिए जा रहे? सोनिया जी ने 7500 रुपये अतिरिक्त देने की मांग की थी। यह राशि दी जानी चाहिए। बटाई पर खेती करने वालों और खेतों में मजदूरी करने वालों को क्या मिला?
उन्होंने कहा कि फसल कटाई होने वाली है। ऐसे में सरकार बताए कि कटाई के लिए क्या इंतजाम है? अगर किसान खड़ी फसल की कटाई 20-25 दिन टाल देगा तो उसे बहुत नुकसान होगा। इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
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