जून महीना आते ही कारे कारे बदरा के इंतजार में आंखे आसमां को देखने लगती है। हर किसी को इंतजार रहता है कि मानसून की पहली फुहार से धरती की तपीश कब बुझेगी। धरती की तपीश बुझने का इंतजार इसलिए रहता है कि क्योंकि लू के गर्म थपेड़ों से ना सिर्फ तन बदन झुलस जाता है बल्कि मन भी तपीश का शिकार हो जाता है।