नई दिल्ली: क्या जो अयोध्या में हुआ, जो काशी में हुआ वो सिर्फ झांकी है, अभी देश में और कई ज्ञानवापी बाकी हैं। ये सवाल इसलिए क्योंकि देश में ऐसे कई ऐसे मस्जिद हैं जहां हिंदू पक्ष मंदिर होने का दावा करते हैं। सबसे पहले बात मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद की। वीडियोग्राफी और सर्वे की एक तस्वीर भले ही काशी की ज्ञानवापी मस्जिद की हो लेकिन इस एक तस्वीर ने मथुरा की ईदगाह मस्जिद के मामले को भी ताजा कर दिया है। अब ज्ञानवापी की तरह मथुरा की ईदगाह मस्जिद में भी सर्वे और वीडियोग्राफी की मांग हो रही है।
दरअसल टाइम्स नाउ नवभारत पर हमने मथुरा विवाद पर EXCLUSIVE दस्तावेज दिखाए थे जिससे साफ होता है कि ईदगाह मस्जिद जहां पर है वहां मंदिर को तोड़ा गया। टाइम्स नाउ नवभारत की इस खबर का बड़ा असर हुआ है। हिंदू पक्षकारों ने खबर का हवाला देकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की है और ईदगाह की वीडियोग्राफी कराने की मांग की है जिस पर कोर्ट ने एक जुलाई की तारीख दे दी है। इससे पहले 19 मई को श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े एक और अहम मामले की सुनवाई होगी। लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर शाही मस्जिद की 13.37 एकड़ भूमि पर मालिकाना हक जताया है और शाही मस्जिद को हटाने की मांग की है।19 मई को कोर्ट ये फैसला सुनएगा कि याचिका स्वीकार होगी या नहीं।इस बीच हाईकोर्ट ने ईदगाह मस्जिद केस में जुड़ी सभी अर्जियों को 4 महीने में निपटाने का आदेश दिया था।
दरअसल शाही ईदगाह मथुरा विवाद 350 साल पुराना है। दावा है कि 1670 में औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर को गिरवा दिया था और मंदिर से निकली मूर्तियों को बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में लगाने का आदेश दिया था। हमने हिंदू पक्ष के इस दावे की पड़ताल की तो सच हैरान करने वाला था। हिंदू जन्मभूमि के पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं, 'औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर को तोड़कर भले ही मस्जिद बनवा दिया था लेकिन सरकारी अभिलेखों में हमेशा वहां मंदिर ही दर्ज हुआ है। यानी इतिहास के पन्नों से लेकर सरकारी दस्तावेजों तक में। कहीं भी ईदगाह का जिक्र तक नहीं रहा।' फिलहाल श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद अभी मथुरा की स्थानीय अदालत में हैं जहां इस मामले में कई याचिकाएं दाखिल हैं और हर याचिका पर कोर्ट में सुनवाई जारी है।
अब बात अहमदाबाद के जामा मस्जिद की जिसकी शानदार नक्काशी और सैकड़ों वर्ष पहले बनी ये इमारत भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को बयां करती हैं लेकिन इस इमारत से जुड़ी कुछ ऐसी कहानियां है जिस पर विवाद बढ़ता जा रहा है। ये कहानी कर्णावती शहर से जुड़ी है जिसे आज अहमदाबाद के नाम से जाना जाता है। हिंदू पक्ष का दावा है कि अहमदाबाद में अभी जो जामा मस्जिद है, पहले भद्रकाली मंदिर हुआ करती थी। 14वीं शताब्दी में मुसलिम अक्रांता अहमद शाह ने माता के मंदिर के शिखर को तोड़ दिया था और उसकी जगह मस्जिद का निर्माण करवाया था।अपने दावे को सही साबित करने के लिए हिंदू पक्ष के लोग दलील देते हैं कि मस्जिद के ज्यादातर खंभे हिन्दू मंदिरों के स्टाइल में बने हैं।जामा मस्जिद के कई खंभों पर कमल के फूल, हाथी, कुंडलित नाग, नर्तकियों, घंटियों की नक्काशी है।
ताजमहल...दुनिया इसे मुहब्बत की निशानी मानती है। दुनिया भर से लोग उत्तर प्रदेश के आगरा मुगल शासक शाहजहां और मुमताज महल के प्रेम की निशानी ताजमहल को देखने आते हैं लेकिन ताजमहल एक मकबरा या तेजो महालय मंदिर ये विवाद छिड़ गया है। हिंदू मंदिर तेजो महालय होने के दावों के बीच बीजेपी सांसद और जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी ने बड़ा दावा किया है।दीया ने ताजमहल को अपने पूर्वजों का राजमहल करार देते हुए..इस पर मुगल बादशाह शाहजहां के कब्जे को अवैध ठहराया है।
ज्ञानवापी पर बोले असदुद्दीन ओवैसी, हम दूसरी मस्जिद नहीं खोने देंगे
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