नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेप और फिर हत्या का शिकार हुई नौ साल की बच्ची के परिवार की पहचान उजागर करने के मामले में ट्विटर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ एक्शन लिया। ट्विटर ने पहले राहुल गांधी के उस ट्वीट को हटा दिया, जिसमें पीड़िता के माता-पिता का चेहरा नजर आ रहा था तो बाद में उनके अकाउंट को लॉक भी कर दिया। कांग्रेस नेता पर अब फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट को लेकर भी एक्शन का खतरा मंडरा रहा है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने शुक्रवार को इस संबंध में फेसबुक को पत्र लिखा और मांग की कि वह दुष्कर्म की पीड़िता के माता-पिता की तस्वीर पोस्ट करने को लेकर कांग्रेस नेता के इंस्टाग्राम प्रोफाइल के खिलाफ कार्रवाई करे। इंस्टाग्राम, फेसबुक के स्वामित्व वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इससे पहले NCPCR ने 4 अगस्त को ट्विटर से इस मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था, जिसके बाद उनके ट्विटर हैंडल को बंद कर दिया गया।
अब NCPCR ने फेसबुक को लिखे पत्र में कहा है कि उसने राहुल गांधी के इंस्टाग्राम पर एक वीडियो देखा है, जिसमें बच्ची के माता-पिता कीचेहरा साफ नजर आ रहा है और यह कानून का उल्लंघन है। आयोग के मुताबिक, यह वीडियो किशोर न्याय कानून, 2015 की धारा 74, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (POCSO) की धारा 23 और भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए का उल्लंघन है और इसलिए कांग्रेस नेता के इंस्टाग्राम पर कार्रवाई होनी चाहिए। NCPCR ने वीडियो को इंस्टाग्राम से हटाने के लिए कहा है।
यहां उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद उनकी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, 'माता-पिता के आंसू सिर्फ एक बात कह रहे हैं- उनकी बेटी, देश की बेटी न्याय की हकदार है और न्याय के लिए इस रास्ते पर मैं उनके साथ हूं।' उनके इस ट्वीट के बाद से ही यह मसला विवादों में बना हुआ है। NCPCR ने इसे लेकर ट्विटर को नोटिस जारी किया तो बीजेपी ने भी इस मसले को जोरशोर से उठाया और कांग्रेस नेता पर अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए मुद्दे के इस्तेमाल का आरोप लगाया।
अब इस मामले में जब ट्विटर ने राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की है तो इसे पक्षपातपूर्ण करार देते हुए यहां तक कहा कि माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म सरकार के दबाव में काम कर रहा है। कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को कहा कि ट्विटर अब निष्पक्ष प्लेटफॉर्म नहीं रह गया है। एक कंपनी के रूप में यह देश की राजनीतिक प्रक्रिया में दखल दे रहा है और यह कदम देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनियां राजनीति तय नहीं कर सकती।
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