Varanasi: आलमगिरी मस्जिद पहले था महादेव का मंदिर! सबूत चीख रहे हैं वाराणसी में कितने 'ज्ञानवापी'?

Alamgiri Mosque: दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने आदि विश्वेश्वर यानी काशी विश्वनाथ से भी पहले कृति वासेश्वर मंदिर को गिराने और उसे मस्जिद में बदलने का फरमान जारी किया था। जिस पर उसकी सेना ने फौरन अमल किया।

Alamgiri Mosque was earlier the temple of Mahadev the evidence is screaming How many Gyanvapi in Varanasi
कृति वासेश्वर मंदिर का विध्वंस, साक्षात् सबूत शेष ! 
मुख्य बातें
  • आलमगिरी मस्जिद पहले महादेव का मंदिर था? क्या कहते हैं स्थनीय लोग
  • कृति वासेश्वर मंदिर का विध्वंस, साक्षात् सबूत शेष !
  • मुगलों ने आदि विश्वेश्वर से पहले किया था कृति वासेश्वर का विध्वंस?

Alamgiri Mosque: काशी के आदि विश्वेश्वर मंदिर पर औरंगजेब के आक्रमण की कहानी की चर्चा पूरे देश में है। लेकिन क्या आपको पता है कि औरंगजेब ने काशी में आदि विश्वेश्वर मंदिर के अलावा भी कई मंदिरों को तोड़ा और उसके ऊपर मस्जिद का निर्माण कराया। हम आपको काशी के 3 ऐसे ही मस्जिदों की कहानी बताएंगे जहां पहले मंदिर था और अब मस्जिद है। हिंदू पक्षों के मुताबिक आलमगिरी मस्जिद पहले कृति वासेश्वर मंदिर था। धरहरा मस्जिद पहले बिंदु माधव मंदिर था।लाट मस्जिद पहले लाट भैरव मंदिर था लेकिन औरंगजेब इन तीनों मंदिरों को तोड़ा और मस्जिद का निर्माण करा दिया।

कृति वासेश्वर मंदिर

सबसे पहले बात कृति वासेश्वर मंदिर की। औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर से भी पहले काशी के कृति वासेश्वर मंदिर को तोड़ने का फरमान सुनाया था 7 वीं सदी में इस मंदिर को तोड़कर आलमगिरी मस्जिद बनाने के दावे की सच्चाई क्या है? इसे जानिए। जहां इस वक्त शिवलिंग है..क्या वहां पहले सचमुच फव्वारा था..वजूखाना था..इसे लेकर हिंदू पक्ष का क्या कहना है? उसे सुनने से पहले मस्जिद पक्ष का दावा क्या है? मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां जो शिवलिंग है उसे 2006 में जबरदस्ती रख दिया गया। जबकि हिंदू पक्ष इस दावे को सिरे से नकारता है। हिंदू पक्ष का दावा तो यहां तक है कि वाराणसी का ये अकेला ऐसा मंदिर है जिसे औरंगजेब के तोड़ने के बाद भी यहां पूजा एक दिन भी नहीं रुकी।

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 ऐतिहासिक तथ्य

इतिहास की किताबों और धर्मग्रंथों में कृति वासेश्वर मंदिर को लेकर क्या लिखा गया है? आज आपके सामने वो पन्ने भी खोलेंगे लेकिन इस मंदिर में हिंदुओं की कितनी आस्था है उससे जानना जरूरी है। ज्ञानवापी विवाद में सर्वे के बाद ऐसी ही मांग अब कृति वासेश्वर और आलमगिरी मस्जिद में भी की जा रही है। मंदिर पक्ष के मुताबिक यहां पूजा कभी बंद ही नहीं हुई। ऐसे में ये मंदिर 1991 के वर्शिप एक्ट के दायरे में भी नहीं आता है। मंदिर खुले आसमान के नीचे है किन महादेव की पूजा के सामान यहां एक कमरे में बंद हैं जिसकी पहरेदारी चौबीसों घंटे पुलिसवाले करते हैं।

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औरंगजेब ने बनाई मस्जिद

कृति वासेश्वर में आस्था रखने वाले पक्ष का दावा है कि ये इमारत किसी एंगल से मस्जिद नहीं है ये मंदिर ही था जिसे तोड़कर मस्जिद की शक्ल दे दी गई..जिसके सबूत आज भी मंदिर के पक्ष में हैं। मुस्लिम पक्ष मस्जिद की हिमायत में दस्तावेजी सबूत होने के दावे कर रहा है तो मंदिर पक्ष इतिहास की किताबों का हवाला दे रहा है। काशी के प्रमुख शिवलिंगों में कृति वासेश्वर का स्थान बहुत ऊंचा है। कृति वासेश्वर का मंदिर बहुत सुंदर और वैभवशाली था 
इसी वजह से औरंगजेब ने कृति वासेश्वर की जगह मस्जिद बनवाई औरंगजेब ने काशी के 3 देवस्थान- आदि विश्वेश्वर, कृति वासेश्वर और बिंदु माधव की जगह मस्जिद बनवाई।

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आज भी अवेशष

दावा किया जाता है कि कृति वासेश्वर मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं। आसपास पत्थरों के मलबे का ढेर है किन दूसरे पक्ष का कहना है कि ये मस्जिद उन्हें औरंगजेब के भाई दारा शिकोह ने तोहफे में दी थी। जबकि हिंदू पक्ष के मुताबिक इस मस्जिद में पहले कोई आता तक नहीं था। 1992 में अयोध्या के विवादित ढांचे को गिराए जाने के बाद अचानक इस मस्जिद में नमाजियों की तादाद बढ़ गई। काशी विश्वनाथ..बिंदु माधव और कृति वासेश्वर..वो सनातन मंदिर हैं जो काशी में औरंगजेब की घुसपैठ के साथ ही मुगलिया विध्वंस के शिकार बने..आज साढ़े तीन सौ साल बाद भी उस बर्बर बादशाह की क्रूरता की कहानी बयां कर रहे हैं।
 

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