नई दिल्ली: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह आज सहकारिता के पहले विशाल सम्मेलन (National Cooperative Conference) को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जल्द नयी सहकारिता नीति लाने की तैयारी कर रही है। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन आज अधिक प्रासंगिक है और सहकारी संस्थाएं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य पर आगे बढ़ रही है और सहकारी क्षेत्र इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए अमित शाह ने कहा, 'आजादी के 75 वर्ष के बाद और ऐसे समय पर जब सहकारिता आंदोलन को सबसे ज्यादा जरूरत थी तब देश के प्रधानमंत्री जी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाया, मैं आप सभी की ओर से उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। देश के विकास के अंदर सहकारिता बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। देश के विकास के अंदर सहकारिता का योगदान आज भी है। हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा, नए सिरे से रेखांकित करना पड़ेगा, काम का दायरा बढ़ाना पड़ेगा, पारदर्शिता लानी पड़ेगी।'
अमित शाह ने सहकारिता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, 'मैं आज मोदी जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सहकारिता क्षेत्र भी आपके 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और नई सामाजिक पूंजी का कंसेप्ट भी तैयार करेगा। भारत की जनता के स्वभाव में सहकारिता घुली-मिली है। इसलिए भारत में सहकारिता आंदोलन कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता।'
सहकारिता का उद्देश्य बताते हुए अमित शाह ने कहा, 'प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो सहकारिता मंत्रालय बनाया है उसका ग्रामीण क्षेत्र में विकास को पहुंचाने का उद्देश्य है। आज देश में लगभग 91% गांव ऐसे हैं जहां छोटी-बड़ी कोई न कोई सहकारी संस्था काम करती है। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा जिसके 91% गांव में सहकारिता उपस्थित हो। सहकारिता मंत्रालय कॉ-ऑपरेटिव संस्थाओं को मजबूत करने, उन्हें आगे बढ़ाने, उन्हें आधुनिक बनाने, उन्हें पारदर्शी बनाने, उन्हें प्रतिस्पर्धा में टिके रखने के लिए ही बनाया गया है।'
कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा, 'कृषि क्षेत्र में पिछले सात वर्ष में मोदी जी आमूलचूल परिवर्तन लाए हैं। 2009-10 में कृषि बजट 12,000 करोड़ रुपये था। 2020-21 में कृषि बजट को बढ़ाकर 1,34,499 करोड़ रुपये मोदी सरकार में किया गया। हमने तय किया है कि कुछ समय के अंदर नई सहकारी नीति जो पहले 2002 में अटल जी लेकर आए थें और अब 2022 में मोदी जी लेकर आएंगे। आजादी के अमृत महोत्सव में नई सहकारी नीति को बनाने की हम शुरुआत करेंगे।'
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