नई दिल्ली : बिहार चुनाव नतीजों से उत्साहित एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की नजर अब पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हैं। बंगाल में चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर चुके ओवैसी चाहते हैं कि वह टीएमसी के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन हो। इसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी के समक्ष प्रस्ताव पेश कर दिया है। एआईएमआईएम मुखिया के इस प्रस्ताव पर टीएमसी अभी खुलकर कुछ नहीं बोल रही है। एआईएमआईएम का कहना है कि चुनाव में भाजपा को हराने के लिए वह टीएमसी के साथ आने से परहेज नहीं करेगी। बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने विधानसभा की पांच सीटें जीती हैं।
साथ मिलकर चुनाव लड़ने की ओवैसी की पेशकश
एआईएमआईएम की तरफ से यह पेशकश ऐसे समय हुई है जब ममता बनर्जी ने बिना नाम लिए ओवैसी पर हमला बोला है। ममता ने कहा है कि 'कुछ बाहरी लोग लोगों को परेशान करने आएंगे, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।' ममता का इशारा ओवैसी की तरफ था। देश की तमाम विपक्षी पार्टियों एआईएमआईएम पर भाजपा की 'बी टीम' होने का आरोप लगाती हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि ओवैसी चुनाव में वोट काटकर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। जबिक ओवैसी विपक्षी दलों के आरोपों को हमेशा खारिज करते हैं।
एआईएमआईएम के प्रवक्ता ने कहा-हम तैयार हैं
एआईएमआईएम प्रवक्ता असीम वकार ने कहा कि ममता बनर्जी भाजपा के साथ दो बार सत्ता में रह चुकी हैं लेकिन इस बार यदि वह पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराना चाहती हैं तो एआईएमआईएम उनके साथ आने के लिए तैयार है। इसके बारे में फैसला ममता बनर्जी को करना है। इस प्रस्ताव पर टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि टीएमसी का वोट शेयर कम करने के लिए भाजपा ने एआईएमआईएम को बंगाल का चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया है। जबकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि ओवैसी की पार्टी चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण करेगी। चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता आजादी के बाद से ही ध्रुवीकरण की राजनीति को खारिज करती आई है।
बंगाल की कई सीटों पर है मुस्लिम वोटरों का दबदबा
बिहार चुनाव नतीजों से उत्साहित ओवैसी पहले कह चुके हैं कि उनकी पार्टी पश्चिम बंगाल का चुनाव लड़ेगी। पश्चिम बंगाल में ऐसी कई विधानसभी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। जाहिर है कि ओवैसी की नजर इन सीटों पर हैं। मालदा, मुर्शीदाबाद और नार्थ दिनाजपुर की कई सीटें मुस्लिम बहुल हैं। इन जिलों की सीटों पर हार-जीत का फैसला मुस्लिम वोटों से होता है।
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