श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जब कार्रवाई होती है तो तथाकथित अलगाववादी संगठन तो विरोध के सुर अलापते हैं। लेकिन वहां के मुख्य धारा के दल भी दबी जुबान या कभी कभी खुले तौर पर आलोचना करते हैं। लेकिन बडगाम का एक वीडियो कई सवालों के जवाब देता है। उन सवालों का जवाब जिसकी वजह से सुरक्षाबलों की जहनियत पर सवाल उठाए जाते हैं,उन लोगों को संदेश जो हमेशा मानकर चलते हैं कि अफस्पा का सिर्फ दुरुपयोग होता है।
बडगाम का वो एनकाउंटर
हुआ कुछ यूं कि बडगाम में एक एसपीओ और उसके साथ एक शख्स हथियारों के साथ फरार हो गए। जब इसकी जानकारी हुई तो घेरेबंदी की गई और उसमें एक शख्स सुरक्षाबलों के घेरे में आ गया हालांकि एसपीओ अभी भी फरार है। जो शख्स सुरक्षाबलों के शिकंजे में आया उसका नाम जहांगीर है और यहीं से सुरक्षाबलों ने जिस तरह से कार्रवाई को अंजाम दिया वो उन लोगों को संदेश है जिन्हें अफस्पा का दुरुपयोग नजर आता है, जिन्हें सुरक्षाबलों के हाथ खून से सने नजर आते हैं।
सुरक्षाबलों ने आतंकी को सरेंडर का दिया मौका
सुरक्षाबलों के पास वो मौका था जिसमें वो आतंकी को मार गिराते। लेकिन मौके पर मौजूद अफसरों ने उसे सरेंडर का मौका दिया। एक अधिकारी ने कहा कि जहांगीर डरो नहीं जिस तरफ से तुम्हें आवाज आ रही है उधर आओ। पहले अपने पैंट को पहन लो जर्सी नीचे रख दो। इस तरह से वो आतंकी उस अधिकारी की तरफ बढ़ने लगा। अधिकारी स्पष्ट तौर पर निर्देश देता रहा कि कोई भी फायर नहीं करेगा।
हथियारों की हुई बरामदगी
आतंकी जब उस अधिकारी के पास पहुंचा तो उसने पूछा कि अगर किसी के पास पानी हो तो इसे दे दे। दूसरे अधिकारियों ने भी सहमति दी। इस बीच कमांडक का फोन आता है लेकिन अधिकारियों ने फोन को काट दिया और आतंकी से कहा कि ठीक तुमने गलती की और सुधरने का मौका मिलना चाहिए। अधिकारी बार बार उसे समझाते रहे कि वो सच सच सबकुछ बता दे।आतंकी के जानकारी के आधार पर बड़ी मात्रा में आर्म्स और एम्यूनिशन की बरांमदगी भी हुई।
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