नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव केस में एनआईए ने गौतम नवलखा समेत आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। एनआईए की चार्जशीट में बाबू, आनंद तेलतुम्बडे, सागर गोरखे, रमेश गाइचोर, ज्योति जगताप, मिलिंद तेलतुम्बडे और स्टेन स्वामी का नाम शामिल है। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी गौतम नवलखा के संबंध में है। चार्जशीट के मुताबिक वो आईएसआई के संपर्क में थे और उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों की जमात को एकजुट करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
भीमा कोरेगांव मामले में नवलखा की भूमिका पर रोशनी डालते हुए एनआईए का कहना है कि जांच से पता चला कि उनके और सीपीआई (माओवादी) कैडरों के बीच गुप्त संचार होता था। वह कुछ फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के भी हिस्सा थे और माओवादी की गुरिल्ला गतिविधियों में किसी तरह की बाधा न आए इसके लिए कैडर भर्ती करने की भी जिम्मेदारी थी। एनआईए का कहना है कि बाबू नाम का शख्स विदेशी पत्रकारों की यात्राओं के आयोजन में मुख्य भूमिका निभाते था इसके साथ ही उसे उन्हें रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट के वर्तमान और भविष्य के कार्य सौंपे गए थे।
बाबू मणिपुर की कुंगलपाक कंगलेपाक कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क में था और दोषी करार जी. एन. साईबा सीपीआई (माओवादी) के निर्देशों पर चल रहा थे। एनआईए ने 28 जुलाई को बाबू को नोएडा स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया था जबकि नवलखा को 14 अप्रैल को आनंद तेलतुम्बडे के साथ गिरफ्तार किया गया था। स्वामी की भूमिका के बारे में बताया गया है कि वह एक सीपीआई माओवादी कैडर है और उसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। स्टेन स्वामी को गुरुवार रात रांची से गिरफ्तार किया गया था और शुक्रवार को मुंबई में एक अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
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