अपने फैसलों से आम जनता के साथ-साथ अपनी पार्टी के नेताओं को भी चकित कर देना बीजेपी की आदत सी बन गई है। पार्टी में बड़े से बड़े फैसले हो जाते हैं और कानों कान किसी को खबर तक नहीं होती है। ताजा उदाहरण गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का रहा है। जितना गोपनीय उनका इस्तीफा रहा, उससे कहीं ज्यादा भूपेंद्र भाई रजनीकांत पटेल का मुख्यमंत्री चुना जाना रहा। अब सबके मन मे ये सवाल उठ रहा है कि पहले उत्तराखंड फिर कर्नाटक और अब गुजरात मे मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद अब अगला नंबर किस राज्य के मुख्यमंत्री का है।
मुख्यमंत्री को एक झटके में बदलने की पीछे की क्या है आलाकमान की सोच
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री बदलने का ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। थोड़ा समय लग सकता है लेकिन कई और राज्य हैं जहां बीजेपी अपने मुख्यमंत्रियों को बदल सकती है। इस कड़ी में सबसे पहला नाम हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का है। वजह पार्टी ये साफ संदेश देना चाहती है की वो किसी भी नेता की असफलताओं को लेकर आगे नहीं बढ़ेगी। मनोहर लाल खट्टर की सबसे बड़ी कमजोरी ये रही है की वो अब तक एक सख्त प्रशासक की छवि नहीं बना पाए हैं। राज्य में जाटों की नाराजगी को दूर करने में अब तक नाकामयाब रहे हैं और राज्य में पार्टी जाटों की नाराजगी का जोखिम नहीं उठा सकती। हालांकि अभी चुनाव में वक्त है।
वो कौन सी वजहें हैं जो खट्टर को हटाने में निभा सकती है अहम भूमिका
इसी क्रम में अगला नंबर आता है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का
मध्य प्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान का चेहरा आगे करके चुनाव लड़ा था लेकिन बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। वजह साफ थी की आम जनता की सरकार के प्रति नाराजगी। व्यापम घोटाले की आंच, केंद्रीय नेतृत्व से तालमेल बिठाने में असफल रहे शिवराज और सबसे बड़ी वजह राज्य में कई ऐसे नेता है जो मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान लगातर लंबे समय से राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए हैं, जिससे उनकी दावेदारी केंद्र में बड़े पदों पर बनती है इसलिए भी मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बदल सकती है।
आइए समझते हैं की बीजेपी आखिरकार चौकाने वाले नामों को लेकर क्यों सामने आती है
उदाहरण के तौर अगर बीजेपी गुजरात में नितिन पटेल को मुख्यमंत्री बनाती तो लोगों की नाराजगी सरकार के प्रति कम होती खत्म नहीं होती, इसलिए एक ऐसे चेहरे को चुना जिसको कम लोग जानते थे और वो सरकार का हिस्सा नहीं था। इससे लोगों के गुस्से बहुत हद तक खत्म किया जा सकता है ऐसी पार्टी की सोच है। इसलिए पार्टी बीजेपी शासित राज्यों में ऐसा एक्सपेरिमेंट कर रही है अब देखना है कि क्या पार्टी का ये प्रयोग सफल हो पाता है या नहीं।
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