बिहार का बक्सर जिला और यूपी का गाजीपुर एक दूसरे के पड़ोसी होने के साथ साथ गंगा नदी के किनारे भी हैं। कोरोना काल में बक्सर जिला इस समय चर्चा में इसलिए है कि महादेवा घाट पर बड़ी संख्या में लाशें मिली थीं। लाशों के मिलने के बाद बक्सर जिला प्रशासन के साथ साथ बिहार सरकार की जब बदनामी हुई तो जिला प्रशासन ने सच जानने का फैसला किया। बक्सर प्रशासन ने महादेवा घाट के करीब यूपी की सीमा में घुसी और महाजाल लगाकर आठ शवों की बरामदगी की और यह बताया कि लाशें यूपी में बहाई जा रही हैं।
यूपी की सीमा में बक्सर प्रशासन की जल स्ट्राइक
बक्सर जिला प्रशासन का कहना है कि अगर लाशों को महादेवा घाट के पास नदी में डाला जाता तो करीब पांच दिन बाद कई किलोमीटर लाशें उतराती मिलतीं। अब बक्सर प्रशासन ने किस तरह से इस अभियान को अंजाम दिया वो दिलचस्प है। रात के अंधेरे में एक मल्लाह की मदद से यूपी की जलसीमा में महाजाल लगाई गई और आठ शवों की बरामदगी की गई।
क्या गाजीपुर प्रशासन की मौन सहमति है
बक्सर जिला प्रशासन का कहना है कि यह जानकारी सामने आई कि गाजीपुर पुलिस की मौन सहमति के बाद शवों को गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है। इस समय यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कितने शवों कों गंगा के हवाले किया जाता है। आमतौर पर गाजीपुर जिले में गंगा के पूर्वी किनारे पर बसे गांवों में लाशों को नदी में बहाने की परंपरा है। लेकिन आम जनमानस में धारण है कि कोविड से हो रही मौतों की वजह से लोग शवों को जलाने की जगह नदी में बहा दे रहे हैं।
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