चीन ने खोला नया मोर्चा, अब देपसैंग में किया सैनिकों का जमावड़ा, भारत भी तैयार

देश
आलोक राव
Updated Jun 25, 2020 | 13:05 IST

China opens new front at Depsang: चीन का दोमुहांपन फिर उजागर हुआ है। सीमा पर शांति बहाल करने की बात करने वाले चीन ने एलएसी के पास अब देपसैंग में मोर्चा खोल दिया है।

 China opens new front at Depsang Closer to strategic DBO
चीन ने अब देपसैंग में सैनिकों का जमावड़ा किया है।  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • चीन का दोमुंहापन फिर आया सामने, गलवान घाटी के बाद अब देपसैंग में नया मोर्चा खोला
  • अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में भी अपने सैनिकों की संख्या में किया इजाफा
  • चीन एलएसी पर शांति कायम करने की बात करता है लेकिन उसकी कथनी-करनी में अंतर

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने की बात तो चीन कर रहा है लेकिन सीमा पर उसकी सैन्य गतिविधियां उसके दोमुंहेपन को उजागर करती हैं। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में पीएलए के सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। यही नहीं, उसने एलएसी पर अपनी तरफ देपसैंग में नया मोर्चा खोल दिया है। यहां उसने बड़ी संख्या में पीएलए के सैनिकों एवं भारी हथियारों का जमावड़ा किया है। एलएसी पर चीन की नए सिरे से होने वाली ये सैन्य कवायद दोनों देशों के बीच तनाव को नए स्तर पर ले जा सकती है। 

सामरिक रूप से अहम है देपसैंग इलाका
देपसैंग इलाका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी के समीप है। सेना के सूत्रों का कहना है कि चीन के इस जमावड़े को देखते हुए भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारी की है। पीएलए की तरफ से होने वाली किसी भी हरकत या घुसपैठ का जवाब देने के लिए सेना तैयार है। बता दें कि देपसैंग गलवान घाटी के उत्तर में पड़ता है। चीन ने इस इलाके में साल 2013 में अस्थाई टेंट लगाए थे लेकिन भारत के दबाव के बाद उसने यह जगह खाली कर दी। सीमा पर तनाव कम करने की चीन के विदेश मंत्रालय के पहल की पोल इससे भी खुल जाती है कि उसने गलवान घाटी, पेंगोंग झील और अन्य जगहों पर अपने सैनिकों की आवाजाही बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि गलवान घाटी के अलावा पीएलए ने डेमचोक, गोगरा हॉट स्प्रिंग और दौलत बेग ओल्डी में अपने सैनिकों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा किया है।

गलवान घाटी की हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए
बता दें कि गत 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। इस खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इस हिंसक टकराव में चीन की तरफ से कमांडर और अन्य सैनिकों के हताहत होने की खबर है लेकिन बीजिंग की तरफ से इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने कहा कि सेना ने चीनी सैनिकों की रेडियो पर हुई बातचीत को इंटरसेप्ट किया जिसमें करीब 40 सैनिकों के मारे जाने की बात कही गई। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने भी अपनी रिपोर्ट में चीनी सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि की है।

दोनों देशों के बीच बातचीत भी जारी है
गलवान घाटी में हिंसा के बाद एलएसी पर बने गतिरोध एवं तनाव कम करने के लिए भारत और चीन दोनों ने सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी रखी है। हालांकि इस घटना के लिए दोनों देशों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। भारत का कहना है कि गलवान घाटी में चीन एकतरफा यथास्थिति में बदलाव की कोशिश कर रहा था और यहां जो कुछ भी हुआ उसके लिए वही जिम्मेदार है। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से भी यही तर्क दिया गया है। गत छह जून को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच हुई वार्ता में गलवान घाटी से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमति बनी थी लेकिन 15 जून की रात चीनी सैनिकों ने शीर्ष स्तर पर बनी इस सहमति को मानने से इंकार कर दिया।   

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