आज पूरे देश ने एक अप्रत्याशित सियासी लड़ाई देखी। प्रधानमंत्री मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया और जालौन से बिल्कुल नए शब्द रेवड़ी कल्चर की बात छेड़कर बिना नाम लिए विरोधियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रेवड़ी कल्चर विकास के लिए घातक है तो उन्हें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बिना देर किए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि गरीब जनता को मुफ्त शिक्षा, मुफ्त इलाज, बिजली-पानी फ्री देना गुनाह है?
'क्या मैं फ्री की रेवड़ियां बांट रहा हूं ?'
'फ्री में शिक्षा देना गुनाह है क्या ?'
'मुफ्त इलाज फ्री की रेवड़ी कैसे ?'
केजरीवाल इतने पर ही नहीं रुके, इसके बाद उन्होंने रियल और फर्जी डिग्री वाली पॉलिटिकल लड़ाई भी छेड़ दी। बिना किसी का नाम लिए तंज कसा और अपने सरकार की पीठ थपथपाई। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पढ़ा लिखा हूं मैं। इंजीनियरिंग में डिग्री की है। मैंने अकाउंटिंग की भी पढ़ाई की है। कानून की भी पढ़ाई की है और मेरी असली डिग्री है फर्जी नहीं है। सबकुछ समझता हूं। आज इतनी चीजें फ्री करने के बाद भी दिल्ली का बजट फायदे में चल रहा है, ये मैं नहीं कह रहा हूं। अभी थोड़े दिन पहले ही सीएजी की रिपोर्ट आई है और सीएजी की रिपोर्ट में कहा है कि 2015 के बाद से जब से केजरीवाल की सरकार आई है तब से दिल्ली का बजट नफे में चलने लगा है, उसके पहले घाटे में चलता था। तो बजट भी नफे में चल रहा है, कोई नया टैक्स नहीं बढ़ाया, भ्रष्टाचार खत्म कर दिया, भ्रष्टाचार खत्म करके जो इतना पैसा बचा, अब अगर उससे मैं अपने लोगों की इतनी सहूलियत दे दी तो बताइए कि मैंने क्या गलत किया?
फ्री की पॉलिटिक्स पर बहस बड़ी है और ये बहस इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फ्री की पॉलिटिक्स के चक्कर में ही भारत का एक पड़ोसी देश श्रीलंका बर्बाद हो चुका है, इसीलिए सवाल गंभीर है।
'रेवड़ी कल्चर' पर सियासी बवाल क्यों ?
वोट बैंक के लिए 'फ्री' की लत लगाएंगे ?
सवालों में रेवड़ी कल्चर, डिग्री कहां से आई ?
किसकी 'फ्री' स्कीम सही..किसकी गलत ?
'फ्री' से लंका डूबी..भारत के लिए हानिकारक?
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