पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार अपने चरम पर है। सभी पार्टियों के स्टार कैंपेनर्स चुनावी मैदान में डटे हुए हैं लेकिन अगर कोई नदारद है तो वो हैं राहुल गांधी। पहला चरण सर पर है और अब तक राहुल गांधी ने बंगाल में दस्तक नहीं दी है। पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है जिसमें कई कद्दावर नेताओं के नाम शामिल हैं लेकिन अब तक कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभालने या टीएमसी और बीजेपी को चुनौती देने के लिए कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया है। इस देरी के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
वैसे बंगाल चुनाव में कांग्रेस पर भरोसा अन्य राज्यों में उसके सहयोगियों को भी नहीं है। एक एक कर आरजेडी से लेकर जेएमएम तक ने दीदी का साथ देने का फैसला किया है। तेजस्वी यादव और हेमंत सोरेन ने सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ दीदी को मजबूत करने की बात कह कर अपना समर्थन टीएमसी को दिया तो वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार में भागीदार शिवसेना और एनसीपी ने भी दीदी को चुना। एक एक कर अपने सहयोगियों को दीदी की ओर जाता देख अब कांग्रेस एमपी प्रदीप भट्टाचार्य ने तेजस्वी यादव और शरद पवार को पत्र लिख कर उनसे बंगाल में टीएमसी के लिए प्रचार न करने को कहा है।
बंगाल में चुनाव 8 चरणों में संपन्न होगा और फिलहाल कांग्रेस के प्रचार रथ ने अपना सफर शुरू भी नहीं किया है। क्या ये कांग्रेस की कोई रणनीति है जिसके तहत वो अपने सिपाहियों को प्रचार के लिए तैनात करने में वक्त लगा रही है? या फिर ये संकेत है कांग्रेस के गिरते आत्मविश्वास का?
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