ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने टाइम्स नाउ हिंदी से बातचीत में कहा कि "दैवीय आपदा, यस! जरूर संकेत है, प्रकृति, इशारा कर रही है । एक बेजान चीज ने दमदार व्यक्ति को बेजान बना दिया। ऐसा दृश्य ऐसा मंजर जो कभी सोचा ना था। पहली बात कोरोना संकट से आज पूरी दुनिया दहशत में है, कोरोना एक बेजान और अदृश्य वायरस है जो आर्थिक मंदी तो ला सकता है। हमें आर्थिक रूप से तोड़ सकता है, परंतु हमारे मनोबल को नहीं तोड़ सकता है। कोरोना का इलाज बस इतना ही जागरुकता और जिम्मेदारी। लॉक डाउन की लक्ष्मण रेखा, घर पर रहें, घर वालों के साथ रहें और सोशल डिस्टेंसिंग रामबाण है। 2 गज की दूरी बहुत ही जरूरी है। सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। बस! हमारे मनों और दिलों में वायरस ना हो।
कोरोना के लिए आत्मबल सबसे बड़ी वैक्सीन
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने साक्षात्कार में कहा कि कोरोना काल में ऐसा देखने में आया है कि पर्यावरण खूबसूरत हुआ और प्रकृति काफी करीब हुई, इसे आप किस प्रकार देखते हैं। यह पूछे जाने पर स्वामी जी ने कहा कि यही प्रकृति का संदेश है। गंगा ने अपना काम कर दिया और प्रकृति के अनुसार जिए। उन्होंने कहा कि संयम, समझदारी एवं आत्मबल ही सबसे बड़ी वैक्सीन है। आयुर्वेद को अपनाने का समय है। कोरोना तो बस एक बहाना है, बस अब आयुर्वेद को लाना है।
इंटरनेट से नहीं इनरनेट से जुड़ना होगा
यह पूछे जाने पर कि पोस्ट कोरोना देश और दुनिया के लिये जो चुनौतियां होगीं उन्हें आप किस प्रकार से देखते हैं। उन्होंने कहा कि कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भाव में जीने वाला भय में जीने लगेगा। हर चीज पर शक होगा न जाने कहां, कब कोरोना है। इंसानियत को बचायें रखना भीा एक चैलेंज होगा। अंतर्मुखी होकर जीना होगा। केवल इंटरनेट से नहीं इनरनेट से जुड़ना होगा।
कोरोना से मुकाबले के लिए जीवन शैली बदलने की जरूरत
स्वामी जी ने कहा कि ट्रैवेल, व्यापार, व्यवहार, खान-पान,रिश्ते, रास्ते बहुत कुछ बदलेगा। आर्थिक संकट, रोजगार संकट जरूर हो सकता है परन्तु लोग यदि समझदारी से काम लेंगे धैर्य से काम लेंगे तो बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। कोरोना काल में जीवन, परिवार और अपनों की कीमत पैसों से अधिक करना सीख जायेगा। स्वंय के लिये परिवार के लिये समय निकालेगा जीवन की शैली बदलेगी।
भारत का मजदूर वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
कोरोना से मुकाबले के लिए उन्होंने मोदी सरकार के कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है। हो सकता है सरकार के कुछ निर्णय जैसा आप चाहते हैं वैसे ना हो। कोरोना सरकार के लिए भी नया,प्रशासन के लिए भी नया,आपके लिये भी और लोगों के लिए भी। आज सबसे जरूरी बात मजदूरों को सियासत नहीं बल्कि सहानुभूति की जरूरत उनकी व्यथा और वेदना असहनीय है। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर सियासत नहीं बल्कि सहानुभूति होनी चाहिये। मेरा निवेदन है केन्द्र और राज्य की सरकारों से कि सबसे पहले प्रवासी मजदूर जो घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं उन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। भारत को चमकाने में मजदूरों का अहम योगदान है। अतः मजदूरों की बेसब्री और खोते संयम पर विशेष ध्यान देना होगा। भारत का मजदूर वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
लॉक डाउन में लोग, डाउन ना रहें
कोरोना काल को लेकर स्वामी जी ने कहा कि इससे घबराकर इसका मुकाबला नहीं किया जा सकता। लॉक डाउन में लोग, डाउन ना रहें।वक्त नाजुक है संभल कर रहने की जरूरत है। न टोटकों की जरूरत है न टूटने की जरूरत है। एक बात और जरूरी, जीवन है तो बुरे दिन भी आएंगे। पर भरोसा है यह दिन भी निकल जाएंगे। यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं देश को सुरक्षित रखने का है। यह वक्त सियासत का नहीं सहानुभूति का है। यह वक्त सियासत के लिए नहीं सरकार और समाज का सहयोग करने का है। कोरोना के बाद साफ गंगा को लेकर स्वामी जी के चेहरा पर मुस्कान दिखी और उन्होंने कहा कि मेरा मानना है सतयुग की गंगा फिर वापस धरा पर आ गयी है।
जीवन शैली को बदलने की जरूरत
लॉक डाउन में वर्क फ्रॉम होम में एक साधक को अध्यात्म को किस प्रकार प्रबल करना चाहिए। यह पूछे जाने पर स्वामी जी ने कहा कि जीवन शैली को बदलना होगा। जिंदगी आपकी फैसला आपका। इस साल जिंदगी ही कमाई है। बचोगे तो बचाओगे, आज बचोगे तो कल कमाओगे। लॉक डाउन तो है पर लोग डाउन ना हो। डाउन ना रहे, इसके लिए क्या करे - योग, प्राणायाम, ध्यान मेडिटेशन, प्रेयर सबसे उत्तम है। तनावमुक्त रहें। खुद को तलाशे खुद को तराशे। यह समय बड़ा कीमती मिला है। कभी न मिलेगा ऐसा समय। अनलॉक योर सेल्फ। अच्छाई, सच्चाई और ऊंचाई से इस कोरोना काल में रहने की जरूरत है।
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