नई दिल्ली/देहरादून : देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई। अप्रैल-मई के उस महीने में सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई। देश के कई हिस्सों में राज्य सरकारों ने लॉकडाउन और पाबंदियों की घोषणा की थी। लेकिन हरिद्वार कुंभ में लोगों का जमावड़ा भी लग रहा था। नियम यह था कि RTPCR टेस्ट के बगैर लोग उत्तराखंड में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। अब मामले में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।
'टाइम्स नाउ नवभारत' की टीम ने पूरे मामले की पड़ताल की है। इस जानकारी ने लोगों को चौंकाया कि RTPCR की निगेटिव रिपोर्ट किस तरह अस्पताल के कर्मचारियों ने पैसे लेकर लोगों को दी। इस मामले में लेबोरेटरी चीफ बी एल शर्मा ने जो खुलासे किए हैं, उसका सच जानने के लिए 'टाइम्स नाउ नवभारत की टीम अस्पताल के कर्मचारियों तक पहुंची और मामले से जुड़ी अहम जानकारी एकत्र की।
'धाकड़ EXCLUSIVE' में इसी बात का खुलासा किया गया है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान किस तरह व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ और 500 रुपये लेकर फर्जी कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट बनाए गए। आज जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है और संक्रमण की रफ्तार फिर बढ़ रही है तो खबर एक चेतावनी भी है कि ऐसी गलती फिर न हो।
हरिद्वार कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत इस साल 1 अप्रैल से हुई थी। हालांकि पहला शाही स्नान 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। लाखों लोग कुंभ में शामिल होने हरिद्वार पहुंचे थे। नियम के मुताबिक, यहां कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट के साथ ही एंट्री थी, लेकिन इसमें व्यापक पैमाने पर धांधली हुई और चंद पैसों के लिए इस नियम की खूब धज्जियां उड़ाई गई। देखिये उत्तराखंड में कैसे चला RTPCR की नकली रिपोर्ट का गोरखधंधा।
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