भारत से पाकिस्तान हर मोर्चे पर हारा है। युद्ध का मैदान हो या कश्मीर मे आतंकवाद हमेशा पाकिस्तान ने मुंह की खाई है। लेकिन साज़िश रचने से पाकिस्तान बाज़ नहीं आता। भारतीय सेना ने कश्मीर से आतंकवाद को करीब-करीब उखाड़ फेंका है।इसलिए पाकिस्तान अब दूसरी चाल चल रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि तंगधार सेक्टर के आखिरी गांव सादपुरा और अमरोही जैसे इलाकों में हाल ही मे ड्रग्स की बड़ी खेप बरामद की गई थी। इस बरामदगी के बाद पाकिस्तान के नापाक इरादों का पता चला...
आतंकवाद शब्द जेहन में आते ही एक तस्वीर उभरती है जिसमें एक व्यक्ति होता है जिसके हाथ में खतरनाक हथियार होते हैं। आतंकवाद हम मुंबई में 26/11 हमले को कहते हैं। पुलवामा में CRPF के काफिले पर हमले को आतंकवाद कहते हैं।
क्या है नार्को आतंकवाद
लेकिन आतंकवाद के कई प्रकार होते हैं, जिसमें से एक है narcotic- terrorism। narcotic- terrorism के जरिए आतंकवादी संगठन आतंक फैलाने के लिए फंड जुटाने का काम करते हैं। खतरनाक हथियार, गोला बारूद, नशीले पदार्थ और नकली करेंसी इसी आतंकवाद की कड़ी हैं।
narcotic terrorism पर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी चिंता जताई।12 जुलाई को गांधीनगर में अमित शाह ने कहा था कि नशीले पदार्थों का युवाओं, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है इसलिए narcotic- terrorism का खतरा भारत के लिए चिंता का विषय है। अब हम आपको narcotic- terrorism की Modus-operandi दिखाते हैं।
नार्को आतंकवाद का जाल
पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा जैसे कई और संगठन कश्मीर में आतंक और आतंकवादियों को ताकतवर बनाने के ड्रग्स का व्यापार कर रहे हैं। narcotic- terrorism में पाकिस्तान की सेना भी शामिल है...पाकिस्तान सेना ने हेरोइन की खेती के लिए अफगान सीमा के पास आतंकी संगठनों को जमीन दी है। इसके अलावा पाकिस्तान तालिबान के जरिए अफगानिस्तान और ईरान से आने वाली ड्रग्स को आतंकी संगठनों तक पहुंचाने का काम करता है। narcotic- terrorism module में बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपुरा के साथ ही LoC के पास के 3 जिले शामिल हैं। जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ जिलों में भी narcotic- terrorism का module चल रहा है। ड्रग्स के व्यापार के साथ साथ दवा के पैकेट में हथियारों की भी कश्मीर घाटी में भेज जा रहे हैं।
क्या होते हैं OGW
On Ground Worker वो लोग होते हैं जो सीमा पर आतंकवादियों की मदद करते हैं। आतंकियों को कैश सप्लाई करते हैं। उन्हें छिपने की जगह देते हैं। उनके लिए हाथियारों का इंतजाम करते हैं, इन्हीं On Ground Worker LoC के पास ड्रग्स की खेप पाकिस्तान से पहुंचती है। भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाद हर 30 किलोमीटर के बाद रिसीवर बदल जाता है। और इसी तरह ड्रग्स को देश के महानगरों पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ले जाया जाता है। ड्रग्स को को पैसे में बदल दिया जाता है।
ड्रग्स के व्यापार से कमाए गए पैसों का 50 प्रतिशत हिस्सा Middle East के जरिए आतंकवादी संगठनों के फर्जी खातों में भेज दिया जाता है...ये फर्जी बैंक खाते NGO's के बेनामी खाते होते हैं। Middle East से ड्रग्स की कमाई का पैसा कई जगह बांटा जाता है...इसका एक बड़ा हिस्सा ISI को भी जाता है। 50% धन का इस्तेमाल कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी करते है। इसी धन को सेना के एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को भी पैसा दिया जाता है। यही धन कश्मीर के आतंकवाद फैलाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
अब आपको बताते हैं कि कश्मीर में कब कब ड्रग्स की खेप पकड़ी गई
देश में नार्को आतंकवाद पर शिकंजा
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि On Ground Workers के अलावा आतंकवादी संगठनों को चलाने वाले narcotic- terrorism से जुड़े हुए हैं। वीज़ा पर PoK में आने वालों का इस्तेमाल ड्रग्स की सप्लाई के लिए किया जाता है। अब हम आपको बताते हैं कि ड्रग्स के व्यापार का कश्मीर में आतंकवाद से क्या कनेक्शन है। अप्रैल 2019 में मारे गए हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज नाइकू के साथी को अमृतसर में ड्रग्स की खेप के साथ पकड़ा गया था। उसकी पहचान हिलाल अहमद के रूप में हुई...पूछताछ में जांच एजेंसियों को आतंकी संगठनों द्वारा शुरू किए गए narcotic- terrorism के बारे में जानकारी दी।
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