Maharashtra : उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे गुट का जवाब, 3 पन्नों की चिट्ठी में पूछा-हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका?

Maharashtra Political Crisis Update: शिंद गुट ने तीन पन्नों की चिट्ठी जारी कर उद्धव ठाकरे को घेरते हुए कई सवाल पूछे हैं। 22 जून को लिखे  गए इस पत्र में सीएम उद्धव पर कई आरोप लगाए गए हैं। पत्र में पूछा गया है कि एकनाथ शिंदे जब आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जा रहे थे तो उन्हें फोन कर विमान से क्यों उतारा गया?

Ekanath Shinde fraction writes three page letter to Udhhav Thackeray asks many questions
शिंदे गुट ने पत्रलिखकर उद्धव ठाकरे को जवाब दिया है।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • गुवाहाटी के होटल में रुके हुए हैं शिवसेना के बागी एवं निर्दलीय विधायक
  • बुधवार को सीएम उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों के लिए भावनात्मक अपील की
  • शिंदे गुट ने पत्र लिखकर उद्धव को जवाब दिया है, साथ ही सवाल भी पूछे हैं

Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र में सियासी संकट दूर होता नहीं दिख रहा है। शिवसेना से बगावत करने वाला एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट एक दूसरे को घेरने में जुटा है। शिंद गुट ने तीन पन्नों की चिट्ठी जारी कर उद्धव ठाकरे को घेरते हुए कई सवाल पूछे हैं। 22 जून को लिखे  गए इस पत्र में सीएम उद्धव पर कई आरोप लगाए गए हैं। पत्र में पूछा गया है कि एकनाथ शिंदे जब आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जा रहे थे तो उन्हें फोन कर विमान से क्यों उतारा गया? यही नहीं पत्र में कहा गया है कि सीएम उद्धव ठाकरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं कांग्रेस के नेताओं से मिला करते थे लेकिन उन्होंने अपने ही विधायकों से दूरी बना ली। शिवसेना के विधायकों के लिए 'मातोश्री' का दरवाजा बंद हो गया था। 

पत्र पर संजय शिरसाट के हस्ताक्षर
22 जून को लिखे गए इस पत्र पर विधायक संजय शिरसाट के हस्ताक्षर हैं। मराठी में लिखे गए इस पत्र का मजमून कुछ इस तरह से है-विधायकों को फोन कर ये क्यों कहा गया कि अयोध्या मत जाओ। आपने शिंदे साहब को फोन कर कहा कि उन्हें एयरपोर्ट से वापस लाओ जबकि कई लोगो का चेक इन हो गया था। शिंदे साहब ने बताया कि आपका फोन है हमने सारा सामान वापस लिया और घर आ गए। राज्यसभा चुनाव में हमारा एक भी वोट टूटा नहीं था। फिर विधान परिषद चुनाव में हम पर इतना अविश्वस क्यों दिखाया गया कि हमें आयोध्या नहीं जाने दिया गया। 

हमें 'वर्षा' पर मिलने का समय नहीं दिया जाता था 
पत्र के मुताबिक, जब हमें 'वर्षा' पर मिलने का समय नहीं दिया जाता था तब कांग्रेस और एनसीपी के लोग आपसे बराबर मिलते थे, निधि मंजूर कराते थे। उस पत्र को दिखाते थे कि उनकी निधि मंजूर हो गई। वे भूमिपूजन और उद्घाटन करते थे। आपके साथ तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल करते थे। लोग हमसे पूछते हैं कि मुख्यमंत्री अपना है तो हमें निधि क्यों नही मिल रही। विरोधियों को निधि मिल जाती है लेकिन आप हमसे-मिलते ही नहीं थे। हम मतदाताओं को क्या जवाब देते? ये सोचकर हमारा मन विचलित होता था।  इन सब कठिन प्रश्नों के समय एकनाथ शिंदे साहब का दरवाजा हमेशा हमारे लिए खुला रहा। 

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आपने मूल प्रश्न का जवाब नहीं दिया
पत्र में कहा गया है कि शिंदे बालासाहेब और आनंद दिघे के हिंदुत्व को मानने वाले हैं। आज भी हैं कल भी रहेंगे। इस विश्वास के साथ हम शिंदे साहब के साथ हैं। कल आपने जो बोला जो हुआ वो अत्यंत भावनात्मक था। लेकिन उसमें मूल प्रश्न का उत्तर नहीं था। इसलिये हमारी भावनाएं आप तक पहुचाने के लिए ये भावनात्मक लेटर लिख रहे हैं। 
 

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